अहिफेनासव गंभीर दस्त, तीव्र दस्त, गैस्ट्रोएंटेरिटिस, कोलेरा, पेट दर्द और ऐंठन, आदि में दी जाने वाली दवाई है। यह अतिसार के लिए आयुर्वेदिक दवा है। इसे बहुत कम मात्रा में लिया जाता है।
अहिफेनासव एक हर्बल फॉर्मूलेशन है जिसमें अफीम का इस्तेमाल किया जाता है। अफीम (पापवार सोमनिफरम) इसका प्रिंसिपल घटक है जो उपचार के लिए मदद करता है।
अहिफेनासव एक क्लासिकल दवा है जिसके बारे में भैषज्य रत्नावली के अतिसार रोगाधिकार में बताया गया है।
अहिफेनासव के उपयोग
अहिफेनासव में एंटी-माइक्रोबियल एक्शन है जिससे परजीवी नष्ट होते हैं। यह अतिसार रोग के प्रबंधन के लिए उपयोगी है। आंत से संबंधित समस्याएं जैसे दस्त, गंभीर गैस्ट्रोएंटेरिटिस के साथ भेदी दर्द आदि में इसे दिया जाता है। गैस्ट्रोएंटेरिटिस में अहिफेनासव बहुत प्रभावी है। इसे पीने से पानी जैसे दस्त, उल्टी, पेट दर्द, क्रैम्पिंग, बुखार, मतली आदि में आराम होता है। यह कोलेरा में ढीले मल की आवृत्ति को कम करने में मदद करता है।
अहिफेनासव के संकेत निम्न हैं:
- तेज दस्त
- विसूचिका हैजा (बार बार आने वाले पतले मल की आवृत्ति को कम करने के लिए)
- पेचिश
- आंतों में सूजन
अहिफेनासव के फायदे
अहिफेनासव में एंटी डाईरियल गुण है। इसे लेने से दस्त रुकती है।
दे दस्त से राहत
अहिफेनासव में अफीम, कुटज और अल्कोहल होने से इसका शरीर में अवशोषण जल्दी होता है जिससे दस्त जल्दी ठीक होने लगते हैं और दस्तों की आवृत्ति कम होने लगती है।
अफीम, की ई कोलाई के खिलाफ अत्यधिक महत्वपूर्ण एंटीसेक्रेटरी (एंटीडाइराहोयल गतिविधि) होती है।
दे दर्द में आराम
अहिफेनासव पेचिश, दस्त से हो रही आंतो की ऐंठन और सूजन को ठीक करने में सहयोगी है।
अहिफेनासव की खुराक
अहिफेनासव को लेने की मात्रा केवल कुछ बूंदे है। इसकी 5 से 10 बूंदे पानी में मिलाकर लेनी चाहिए।
ज्यादा मात्रा में इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
अहिफेनासव के साइड इफेक्ट्स
- कब्ज़
- अवसाद
- शौच में दर्द
मतभेद
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डिप्रेशन
- गर्भावस्था
- स्तनपान
- गुर्दे की बीमारी
- अधिक वात दोष और पित्त दोष
अहिफेनासव की संरचना
- संशोधित मद्यसार 400 भाग
- शुद्ध अहिफेन – पापवर सोमनिफरम 16 भाग
- नागरमोथा (नट घास) – साइपरस रोटंडस 4 भाग
- इन्द्रयव होलरहेना एंटीडिसेंटेरिका बीज 4 भाग
- इलायची एलेटरीरिया इलायची 4 भाग