अकीक पिष्टी और अकीक भस्म, अकीक या क्वार्ट्ज (एगेट agate) नामक कीमती मणि / स्टोन से बनाई जाती है। यह एक खनिज युक्त आयुर्वेदिक है।
पिष्टी और भस्म में एक जैसे चिकित्सीय गुण होते हैं लेकिन पिष्टी, भस्म की तुलना में अधिक सौम्य मानी जाती है। अकीक पिष्टी और अकीक भस्म पाउडर अथवा टिकिया की तरह से उपलब्ध है।
अकीक पिष्टी और अकीक भस्म के सेवन से शरीर को ऊर्जा और प्राकृतिक खनिज मिलता है। इसका उपयोग सामान्य दुर्बलता, दिल की कमजोरी, हृदय रोगों, उच्च रक्तचाप, दस्त, , मानसिक रोग, नेत्र रोगों, गर्भाशय से ब्लीडिंग और यकृत विकार में किया जाता है। यह मुख्य रूप से दिल, मस्तिष्क, यकृत और प्लीहा पर काम करती है, इसलिए यह इन अंगों के रोगों में फायदेमंद है।
अकीक सिलिकॉन का स्रोत है। सिलिकॉन शरीर के किसी विशेष अंग में केंद्रित नहीं है लेकिन मुख्य रूप से संयोजी ऊतकों और त्वचा में पाया जाता है। सिलिकॉन तत्व के रूप में गैर-विषाक्त है। सिलिकॉन हमारी त्वचा, बाल और नाखू के सबसे महत्वपूर्ण घटक है। यह संयोजी ऊतक की मरम्मत त्वचा, बाल और नाखूनों को पुन: उत्पन्न करने में मदद करता है। यह धमनियों, कंडराएं, त्वचा, संयोजी ऊतक, कोलेजन, शरीर के ऊतकों का हिस्सा है ।
अकीक पिष्टी अकीक भस्म के संकेत
अकीक पिष्टी अकीक भस्म दिल और दिमाग को ताकत देने वाली दवाई है। यह शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों में फायदा करती है। यह तिल्ली और लीवर के विकारों में दी जाती है। उन्माद, पथरी, बेहोशी, ब्लीडिंग होना, पुराना घाव आदि में भी यह लाभप्रद है। सामान्य दुर्बलता, हृदय की कमजोरी, शरीर में अत्यधिक गर्मी की भावना, मानसिक रोग, आंखों की बीमारियों और महिलाओं में अत्यधिक गर्भाशय रक्तस्राव में भी इसे निर्देशित किया जाता है।
- अल्जाइमर रोग
- अल्सर
- अल्सरेटिव कोलाइटिस
- असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव
- आँख आना
- आंखों में जलन
- एंग्जायटी, क्रोध के साथ अवसाद
- एसिडिटी
- ऑस्टियोपोरोसिस
- कास (खाँसी)
- क्षय (पीथिसिस)
- गर्ड GERD
- ग्रहणी अल्सर
- डिप्रेशन
- दिल की कमजोरी
- पित्त दोष के कारण रोग
- पेट में सूजन
- बाल झड़ना
- भावनात्मक आघात जिसमें रोगी हिंसा पैदा करता है
- महिलाओं में अत्यधिक गर्भाशय रक्तस्राव
- मानसिक थकान
- वात दोष के कारण रोग
- व्रण
- शरीर के अंदर अत्यधिक गर्मी
- सामान्य दुर्बलता
- सिर के रोग
- हदय क्षेत्र में जलन
- हृदय रोग
अकीक पिष्टी अकीक भस्म की डोज़
अकीक पिष्टी या अकीक भस्म को एक से दो रत्ती अथवा 125 – 250 मिलीग्राम की डोज़ में ले सकते हैं। इसे दिन में एक या दो बार लिया जाना चाहिए।
इसका खनिज पर आधारित दवा का उपयोग 1से 2 महीने तक किया जा सकता है।
दोषानुसार अनुपान
- कफ की अधिकता में इसे अदरक के रस के साथ लेते हैं।
- पित्त की अधिकता में इसे शहद के साथ दिया जाता है।
- वात असंतुलन में इसे अश्वगंध के साथ दिया जाता है।
अकीक पिष्टी अकीक भस्म के फायदे
यह प्रकृति में शीतलक है तथा इसके सेवन से शरीर में ठंडक आती है। पित्त की अधिकता में इसके सेवन से लाभ होता है। यह कार्डियक टॉनिक है और दिल की ताकत देने वाली दवाई है। सिरदर्द, दृष्टि और संक्रमण से संबंधित आंख विकार में इसे लेने से फायदा होता है।
शरीर में गर्मी करे कम
अकीक पिष्टी अकीक भस्म के सेवन से शरीर में ठंडक आती है। पित्त की अधिकता से होने वाली दिक्कतों में यह फायदा करती है। इसमें एंटासिड असर है।
बुखार में करे फायदा
यह बुखार की गर्मी को कम करने वाली दवा है।
दिल को दे ताकत
यह सभी तरह की हृदय की दुर्बलता में लाभप्रद है।
सिर के रोगों में करे फायदा
यह सिर-आँखों के रोग में लाभप्रद है।
अकीक पिष्टी अकीक भस्म के साइड इफेक्ट्स
यह दवा अगर डॉक्टर के द्वारा निर्देशित तरीके और अवधि में ली जा रही है तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट ज्ञात नहीं है।
किन लोगों को अकीक पिष्टी अकीक भस्म नहीं लेनी चाहिए?
- टी बी
- अस्थमा
- बलगमी खांसी
- प्रेगनेंसी
- ब्रेस्टफीडिंग आदि।