अम्लपित्तान्तक रस अपच, गैस्ट्र्रिटिस, एसिड रिफ्लक्स रोग के लिए

अम्लपित्तान्तक रस अथवा अम्लपित्तान्तक योग अथवा अम्लपित्तान्तक वटी, अम्लपित्त की आयुर्वेदिक दवाई है। अम्लपित्तान्तक रस को पेट में बहुत एसिड बनना जिसे हाइपरएसिडिटी भी कहते हैं में दिया जाता है। अम्लपित्तान्तक रस में एसिडिटी को कम करने और दर्द निवारक गुण हैं।

अम्लपित्तान्तक रस अपच, गैस्ट्र्रिटिस, एसिड रिफ्लक्स रोग, एसिड पेप्टिक विकारों आदि को दूर करने में मदद करता है। इसमें लोहा होने से यह हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार करता है।

अम्लपित्तान्तक रस, आयुर्वेद की घातु, मिनरल और वनस्पति युक्त दवा है। इसे चार आयुर्वेदिक द्रव्यों से तैयार किया गया है, रस सिंदुर, अभ्रक कैलक्स, आयरन कैलक्स और हरीतकी अथवा टर्मिनलिया चबुला का फ्रूट रिंड।

रस सिंदुर, एक कूपिपक्व रसायन है जिसे शुद्ध परद और गंधक की कज्जली को मिट्टी के साथ लिपटे कांच की बोतल में भर, विशिष्ट समय अवधि के लिए वलूका यंत्र के माध्यम से रेत में पका कर बनाते हैं। रस सिंदुरा को भूख न लगना, अपच और त्वचा रोगों, टीबी और मूत्र संबंधी बीमारियों में दिया जाता है। रस सिन्दूर कम मात्रा में ही शरीर में अच्छा और जल्दी प्रभाव देता है।

अम्लपित्त या हाइपरसिटी, पाचन अंगों से संबंधित एक बहुत ही आम समस्या है। इस रोग में पेट में अत्यधिक एसिड बनता है जिससे पाचन ठीक से नहीं हो पाता और बहुत से लक्षण दिखाई देते हैं। अम्लपित्त के कई आम लक्षण निम्न हैं:

  • उदर में भारीपन
  • उल्टी
  • खट्टी डकार
  • गला जलना
  • चक्कर
  • छाती में जलन
  • जी मिचलाना
  • थकान
  • थकान (विशेषकर पैरों में)
  • दिल और सीने में जलन
  • पूरे शरीर में खुजली
  • पेट में गैस
  • पेट में दर्द
  • पैरों, हाथों में जलन
  • बदबूदार दस्त
  • बेहोशी
  • भूख में कमी
  • मुँह में छाला
  • सरदर्द
  • सांसों की बदबू

क्रोनिक हाइपरसिटी से निम्न स्थितियां हो सकती हैं:

  • रक्ताल्पता
  • जीर्ण जठरशोथ
  • ग्रहणीशोथ
  • पेट में घाव
  • इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम
  • पेप्टिक स्टेनोसिस

इसलिए, अन्य जटिलताओं को रोकने के लिए इस स्थिति का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।

अम्लपित्तान्तक रस के महत्वपूर्ण चिकित्सीय उपयोग

अम्लपित्तान्तक रस का उपयोग एसिडिटी, अपच, भूख न लगना, यकृत विकार, हाइपरसिटी और एसिड पेप्टिक विकारों के उपचार में किया जाता है। इसमें एंटासिड और एनाल्जेसिक प्रभाव होता है।

  • अम्लपित्त
  • एंटासिड के रूप में
  • उदरशूल
  • एसिडिटी से जलन
  • जिगर की समस्या
  • भूख में कमी
  • उल्टी

अम्लपित्तान्तक रस की रचना

  • रस सिन्दूर 1 भाग
  • अभ्रक भस्म 1 भाग
  • लोह भस्म 1 भाग
  • हरितकी 3 भाग

अम्लपित्तान्तक रस की डोज

अम्लपित्तान्तक रस को शहद, दूध या पानी के साथ 250 से 500 मिलीग्राम में लेना चाहिए ।

अम्लपित्तान्तक रस के साइड इफेक्ट्स

  • गर्भावस्था में उपयोग नहीं किया जाना है।
  • बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • डॉक्टर की सलाह के बाद ही अनुशंसित खुराक में लें।
  • कोई गंभीर दुष्प्रभाव ज्ञात नहीं है।

एसिडिटी से बचने के सुझाव

  • भारी, नमकीन, तैलीय, खट्टा, मसालेदार भोजन न करें। अधपका, बासी और दूषित भोजन नहीं खाएं ।
  • जौ, गेहूं, पुराने चावल, हरे चने आदि जैसे हल्के और आसानी से पचने वाले भोजन लें।
  • ध्यान योग करें ।
  • टहलने के लिए जाएँ ।
  • समय पर भोजन लें।

अम्लपित्तान्तक रस के निर्माता

  • बैद्यनाथ
  • डाबर
  • पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • एसडीएल श्री धूतपापेश्वर लि
  • झंडु

One Comment

  1. Kya isko fatty liver wale patients le sakte hai

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!