अमृतारिष्ट आयुर्वेदिक अरिष्ट है जिसे बुखार में प्रयोग किया जाता है। यह किण्वन से तैयार दवा है तथा इसमें स्वयं से उत्पन्न अल्कोहल होती है। अल्कोल होने से दवा का अवशोषण ठीक से होता है तथा दवा टिकती भी लम्बे समय तक है। असल में अरिष्ट और आसव जितने पुराने हो उतना बेहतर। आसवों और अरिष्टों की शेल्फ लाइफ दस साल तक होती है।
अमृतारिष्ट किसी भी कारण से होने वाले बुखार में लाभ करती है। यह पुराने बुखार में भी दी जाती है। अगर किसी व्यक्ति को अक्सर बुखार आता हो, भूख और पाचन कमजोर हो, शरीर की इम्युनिटी कम हो, संक्रामक बीमारियाँ बार बार हो रही हैं, तो उसे यह लेकर देखना चाहिए। गिलोय और दशमूल के होने से यह गठिया, ऊंचे यूरिक एसिड स्तर, रूमेटोइड गठिया, और हेपेटाइटिस (पीलिया) में भी यह फायदा करती है। यह दवाई प्रतिरक्षा-मॉड्यूलर की तरह भी काम करती है और और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करती है।
स्वास्थ्य की स्थिति और उम्र आदि को देखते हुए आप इसे 1 से 2 चम्मच की मात्रा में पानी में मिलाकर ले सकते हैं। ध्यान दें की इसे खाली पेट नहीं लें।
अमृतारिष्ट किन रोगों में दी जाती है?
अमृतारिष्ट डिटोक्सिफायर, फेब्रिफ्यूज, इम्यूनोमोडालेटर, हल्का एनाल्जेसिक, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और हेपेटोप्रोटेक्टिव होने से कई कारणों से हो रहे बुखार की अच्छी दवा है।
अमृतारिष्ट उत्कृष्ट रसायन/टॉनिक भी है। यह पित्त के स्राव को उत्तेजित करके पाचन शक्ति में सुधार करती है। पुराना बुखार, उससे हुई कमजोरी, विषम ज्वर, धातुगत बुखार, प्लीहा और यकृत जन बुखार, पंडू anemia, कामला jaundice, बार-बार ठीक होकर दुबारा होने वाले बुखार आदि में इसके सेवन से लाभ होता है।
- अपच
- एनीमिया
- कालाजार
- जिगर के कारण त्वचा रोग
- जिगर बढ़ जाना यकृत वृद्धि
- ज्वर
- टाइफाइड बुखार
- तिल्ली या पाचन की गड़बड़ी
- पाचन की कमजोरी
- पीलिया
- पीलिया
- पुरानी कण्डु
- प्रमेह
- प्रसव के बाद बुखार
- प्लीहा / तिल्ली या जिगर की बीमारियों के कारण बुखार
- प्लीहा और यकृत की वृद्धि
- प्लीहा वृद्धि
- बुखार
- भूख में कमी
- मलेरिया
- मूत्राशय की कमजोरी
- रात में अधिक पसीना आना
- विषम ज्वर (हर 1 या 2 या 3 दिन के बाद दोहराने वाला बुखार)
- शीत ज्वर
- संक्रामक बीमारियों में
- सूजाक, उपदंश
- सूतिका ज्वर
- हेपेटाइटिस
अमृतारिष्ट की खुराक | Amritarishta Doase in Hindi
अमृतारिष्ट को लेने की खुराक 12 मिलीलीटर से 24 मिलीलीटर है। इसे दवा की मात्रा के बराबर ही गर्म पानी मिला कर लेना चाहिए। इसे आप दिन में दो बार ले सकते हैं। बच्चों को यह दवा दे सकते हैं लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसा नहीं करना चाहिए।
अमृतारिष्ट के फायदे | Amritarishta Health Benefits
अमृतारिष्ट ज्वरघ्न दवा है जिसमें लिवर और स्प्लीन के फंक्शन को ठीक करने के गुण है। बुखार का सबसे बुरा असर लिवर और स्प्लीन पर ही पड़ता है जिससे भूख और पाचन दोनों ही कम होने लगते हैं और कई दिन के बुखार के बाद शरीर में दर्द-कमजोरी हो जाती है तथा अन्य इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। अमृतारिष्ट में गिलोय होने से यह लिवर के सही फंक्शन करने में सहयोगी है और अरिष्ट होने से यह दीपन और पाचन है।
अमृतारिष्ट लेने से बुखार ठीक होने लगता है और लीवर की वृद्धि भी कम हो जाती है। शरीर में पानी का भराव और सूजन भी इसके सेवन से दूर होते हैं।
जो महिलायें डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन, कमजोरी और बुखार से पीड़ित हो उन्हें भी यह दवा लेनी चाहिए। दशमूल होने से यह सूतिका ज्वर, सूजन और कमजोरी को दूर करती है।
अमृतारिष्ट कम करे बुखार
अमृतारिष्ट के सेवन से शरीर में इम्युनिटी बढती है। इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण है। अमृतारिष्ट बुखार से शरीर में दर्द, जलन, भूख नष्ट होना, पाचन की कमजोरी आदि को दूर करती है। यह यकृत की रक्षा करती है। बुखार के बाद हो जाने वाली दिक्कतें भी इसके सेवन से दूर होती है।
अमृतारिष्ट फायदा करे तिल्ली और लीवर के बढ़ने में
जब कुछ बुखारों में शरीर में यकृत और प्लीहा बढ़ जाते हैं तो कमजोर पाचन, भूख न लगना, खून की कमी, कमजोरी आदि जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं तो ऐसे में अमृतारिष्ट का प्रयोग अमृत के सामान है।
अमृतारिष्ट दूर करे टोक्सिंस
शरीर में टोक्सिंस होने पर बुखार, चमड़ी के रोग, सूजन आदि लक्षण प्रकट होने लगते हैं। अमृतारिष्ट डिटोक्सिफायर है और शरीर से टोक्सिंस को दूर करने में मदद करती है।
अमृतारिष्ट का नुकसान | Amritarishta Side Effect in Hindi
- अमृतारिष्ट का कोई ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं है।
- ज्यादा डोज़ लेने से गैस्ट्रिक जलन हो सकती है।
- मधुमेह में सावधानी के साथ प्रयोग करें क्योंकि इसमें गुड़ है।
- गर्भावस्था में इसे नहीं लें।
अमृतारिष्ट के घटक
अमृतारिष्ट में निम्नलिखित घटक द्रव्य (ingredients) है:
- अमृता गुडूची गिलोय 4800 ग्राम
- दशमूल 4800 ग्राम
- काढ़ा बनाने के लिए पानी 49 लीटर
- गुड़ 14 किलो 400 ग्राम
- जीरा 770 ग्राम
- पित्तपापड़ा 100 ग्राम
- सतोना 48 ग्राम
- सोंठ 48 ग्राम
- काली मिर्च 48 ग्राम
- पीपल 48 ग्राम
- मोथा 48 ग्राम
- नागकेशर 48 ग्राम
- कुटकी, 48 ग्राम
- अतीस 48 ग्राम
- इन्द्रजौ 48 ग्राम
पानी में गिलोय और दशमूल को पका कर काढ़ा तैयार करें और ¼th तक कम करें। जब काढ़ा ठंडा हो जाता है तो अच्छी तरह मसलकर छान लें। गुड़ और प्रक्षेप द्रव जोड़ें। 1 माह के लिए एक बंद पोत में किण्वन के लिए रखें, किण्वन के पूरा होने के बाद फ़िल्टर कर बोतल में संग्रहित करें।
ब्रांड जो अमृतारिष्ट का निर्माण करते हैं:
- पतंजलि
- डाबर
- झंडु
- सांडू
- बैद्यनाथ
Mujhe bahut fayada Kiya
Accha copy paste krta h… Last me dekh to leta k poore post me amritarishta ki baat ho rhi or last me abhyaristh ghusedh diya?????
Thank you
Mere Bhai de muze ye diya
To mene abhi abhi Lena start kri hu.
But ye kuch dino me h acha lgra h meko!!