लीवर और स्प्लीन जिसे तिल्ली कहते हैं शरीर के बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह दोनों अंग पाचन और शरीर की इम्युनिटी के लिए जिम्मेदार हैं। लीवर के ठीक से फंक्शन नहीं करने से भूख नहीं लगती, शरीर में खून नहीं बनता, शरीर पीला पड़ जाता है। शरीर में पानी भरने से शरीर फूला हुआ लगता है। आरोग्यवर्धिनी गुटिका रस एक ऐसी दवा ही जो लीवर और स्प्लीन के कामकाज में सुधार लाती है। इसे लेने से शरीर में जमे टोक्सिन दूर होते हैं। इसे दवाई के सेवन से आरोग्य आता है। जब लीवर, स्प्लीन और डाईजेशन ठीक से होता है तो रोग भी दूर होते हैं।
आरोग्यवर्धिनी वटी गुटिका रस का उपयोग जिगर की बीमारियों, बुखार, त्वचा रोगों आदि के उपचार में किया जाता है। इस दवा से भूख और पाचन में सुधार आता है तथा यह आंत्र विकारों, दिल, यकृत, गर्भाशय, गुर्दे, आंतों के लिए टॉनिक की तरह काम करती है। यह पुराने बुखार, एस्काइटिस, जांडिस और पुरानी गुर्दे की बीमारियों में भी फायदेमंद है।
आरोग्यवर्धिनी वटी गुटिका रस बेहद प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। इसे लेने से ताकत आती है और ऊर्जा बढ़ाती है। प्रतिरक्षा में सुधार होने से इन्फेक्शन वाले रोग बार बार नहीं होते। यह प्राकृतिक और हर्बल एक्सट्रेक्ट का एक जटिल संयोजन है जिसमें मल्टीविटामिन गुण और पोषक तत्व होते हैं। आरोग्यवर्धिनी बीमारियों को ठीक करती है, जिससे आपको सामान्य स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद होती है।
यह एक पूरी तरह से प्राकृतिक फार्मूलेशन है। इस शक्तिशाली आयुर्वेदिक दवा के साथ अपने शरीर के सही काम अकरने में मदद होती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे Arogyavardhini Vati Health Benefits
आरोग्यवर्धिनी वटी या गुटिका या रस अच्छे स्वास्थ्य में सुधार करती है, और शरीर को आरोग्य देती है। इसे कुपित वात और कफ दोष ठीक होते हैं। यह कुष्ठ रोग, बुखार, एडीमा, मोटापा, जांडिस और अन्य हेपेटिक विकारों के लिए उपयोगी है। यह भूख नहीं लगना, अपचन और अनियमित बोवेल, लिवर विकार और त्वचा रोगों में फायदेमंद है।
आरोग्यवर्धिनी वटी करे लीवर फंक्शन सही
लीवर के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी अत्यंत उत्तम रसायन है। इससे लीवर फंक्शन ठीक होता है, LDL लेवल को कम होता है जबकि HDL को बढ़ाता है। यह पीलिया, हेपेटाइटिस, यकृत की वृद्धि, प्लीहा की वृद्धि और एनीमिया में लाभप्रद है। यह यकृत को स्वस्थ बनाती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी बढ़ाए इम्युनिटी
आरोग्यवर्धिनी वटी रोग-प्रतरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इसमें कई सारे मिनरल हैं जो शरीर में खनिजों की कमी को दूर करते हैं।
आरोग्यवर्धिनी वटी कम करे मोटापा Arogyavardhini Vati for weight loss
आरोग्यवर्धिनी वटी वज़न कम करने और फैटी लीवर की समस्या में उपयोगी है। यह मेटाबोलिक एक्टिविटी को बढ़ाती है जिससे फैट कम होता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी से खून की कमी दूर होती है और खून की कमी से शरीर में जो पानी का भाराव और सूजन होती है वह दूर होता है। इसे लेने से भूख ठीक से लगती है और पाचन तथा अवशोषण ठीक होता है। आँतों की गंदगी दूर होती है शरीर में अंत: स्रावी ग्रंथियों से स्राव ठीक से होता है।
आरोग्यवर्धिनी शरीर से वसा को कम करने में मदद करती है। यह लिवर, प्लीहा, मूत्राशय, गुर्दा, ऊतक, आंतों, दिल इत्यादि की सूजन को कम करती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी संतुलित करे हॉर्मोन
शरीर में एंडोक्राइन ग्रंथियां होती हैं जो हार्मोन के स्राव के लिए जिम्मेदार हैं। एंडोक्राइन प्रणाली के प्रमुख ग्रंथियों में पाइनल ग्रंथि , पिट्यूटरी ग्रंथि , पैनक्रिया, अंडाशय, टेस्ट, थायराइड ग्रंथि , पैराथीरॉयड ग्रंथि , हाइपोथैलेमस और एड्रेनल ग्रंथियां शामिल हैं ।
एंडोक्राइन ग्रंथियों (कम या उच्च हार्मोनल उत्पादन) की विकृत कार्यप्रणाली शरीर के असंतुलित विकास की ओर ले जाती है और पुरुषों या महिलाओं में प्रजनन अंगों के सही विकास होने से रोकती है। इस स्थिति में, अर्ग्यावर्धनी का लंबे समय तक उपयोग फायदेमंद हो सकता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी दे अंगों को ताकत
शरीर के महत्वपूर्ण अंगों, जैसे की लीवर, किडनी, हृदय, आँतों आदि के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी टॉनिक है। इससे बढ़े हुए वायु और कफ दोष शांत होते हैं। इससे आँतों को ताकत मिलती है और कब्ज़ दूर होती है। आरोग्यवर्धिनी वटी शरीर की हर धातु को पोषित करती है और ओज की वृद्धि करती है। इसे लेने से पाचन, अवशोषण और उत्सर्जन सही होता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी लिवर, हार्ट, रेक्टम, किडनी, यूटेरस और आंतों के लिए टॉनिक के रूप में भी कार्य करता है और आंतों, क्रोनिक बुखार, जांडिस और जल प्रतिधारण के लिए सूजन की स्थिति में उपयोगी है।
आरोग्यवर्धिनी वटी से मिले चमड़ी रोगों में फायदा
जो स्किन रोग कुपित वात-कफ से होते हैं उनमें आरोग्यवर्धिनी वटी जल्दी लाभ करती है। यह शरीर में फ्री रेडिकल का बनना कम करती है जिससे फ्री रेडिकल डैमेज नहीं होता।
आरोग्यवर्धिनी वटी पाचक आग को बढ़ावा देती है, पोषक तत्वों को ऊतकों तक पहुंचने के लिए शरीर के चैनलों को साफ करती है, शरीर में वसा संतुलन करती है और पाचन तंत्र में सुधार करके विषाक्त पदार्थों को हटा देती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Arogyavardhini Vati
आरोग्यवर्धिनी वटी को आप विशेष रूप से त्वचा और यकृत विकार, मोटापा और पुरानी बुखार, आदि में ले सकते हैं। इससे रोग ठीक होते हैं और शरीर को ताकत मिलती है। आप ऐसा कह सकते हैं यह दवा लगभग हर तरह के रोग में उपयोगी है।
- अनियमित बोवेल
- अपच
- अपच से बुखार
- उदर रोग
- कब्ज
- कब्ज़, सारे शरीर में सूजन
- खून की कमी
- चर्म रोग, चमड़ी के रोग, खुजली, रैशेस, मवाद वाले चक्खते, त्वचा की कठोरता-रूखापन, मवाद बहना
- त्वचा और यकृत विकार, मोटापा और पुरानी बुखार, आदि में उपयोगी
- कफ की विकृति से बुखार
- पीलिया
- पुराना अपच
- पुराना बुखार / क्रोनिक फीवर
- प्लीहा का विस्तार
- बुखार
- भूख की कमी
- मेदोदोष मोटापा
- यकृत का बढ़ जाना
- यकृत-विकार / लीवर डिसीज़ पीलिया, सिरोसिस
- वात-कफ दोषों के कारण उत्पन्न बुखार
- शरीर में खून की कमी, आँतों की कठोरता
- सभी प्रकार के इन्फेक्शन
- सूजन
- हेपेटिक विकार
आरोग्यवर्धिनी वटी के संभावित साइड इफेक्ट्स
आरोग्यवर्धिनी वटी से वात और कफ तो कम होता है लेकिन इससे पित्त बढ़ता है। इसलिए अगर पहले से पित्त बढ़ा हुआ है तो साइड इफ़ेक्ट होने की अधिक संभावना है। पित्त बढने से शरीर में ज्यादा गर्मी आती है जिससे जलन होती है और एसिड की समस्या हो सकती है।
यदि पित्त की अधिकता हो तो आपको निम्न साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
- हाथ पैर में जलन
- मुंह में छाले
- चक्कर आना
- मुंह में मेटलिक टेस्ट आदि।
आरोग्यवर्धिनी वटी की डोज़ और लेने का तरीका
आरोग्यवर्धिनी वटी लेने से पहले लेबल पर एक गोली की स्ट्रेंग्थ देखे। इसे लेने की डोज़ 250 से 500 mg, दिन में दो बार, सुबह और शाम है । इसी हिसाब से एक या दो गोली लें।
आरोग्यवर्धिनी वटी को कम मात्रा में चार से छः महीने तक ले सकते हैं। इसे एक महीने लें फिर आधे महीने का गैप दें और फिर लें। इस तरह से गैप के साथ इसे कुछ महिना ले सकते हैं। लेकिन लम्बे समय से लेना चाहते हैं तो ऐसा क्केवल डॉक्टर की राय से करें। आपके शरीर में क्या रोग है और कौन से कुपित दोष हैं उन्हें देखते हुए ही दवा का कोर्स निर्धारित होगा।
चमड़ी के रोग में इसे त्रिफला के पानी के साथ लें। लीवर के रोग में पुनार्नावादी क्वाथ / पुनर्नवा क्वाथ के साथ लें। यदि शरीर में सूजन और दर्द है तो
दशमूल क्वाथ के साथ लें।
आरोग्यवर्धिनी वटी को कब नहीं लें Contraindications
- गर्भावस्था
- ब्रैस्टफीडिंग
- शरीर में जलन
- पित्त की अधिकता
- भ्रम
दवा की अधिकता नहीं करें। इसमें खनिज और मरकरी है जो अधिकता में लीवर पर असर कर सकता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी का मूल्य Arogyavardhini Vati Price
- Patanjali Arogyavardhini Vati 20 gram @ 47 रुपये
- Arogyavardhini Vati Dhootapapeshwar Price 100 tablets @ 289 रुपये
- आरोग्यवर्धिनी वटी बैधनाथ Baidyanath Arogyavardhini Vati price in India 40 tablets @ 64 रुपये
- डाबर आरोग्यवर्धिनी वटी Dabur Arogyavardhini Vati price 40 Tablets @ 68 रुपये
आरोग्यवर्धिनी वटी का कम्पोजीशन
- रस शुद्ध किया हुआ पारा मरकरी 1 Part
- गंधक शुद्ध किया हुआ सल्फर 1 Part
- लोहा भस्म1 Part
- अभ्रक 1 Part
- ताम्र भस्म 1 Part
- हरीतकी 2 Parts
- विभितकी 2 Parts
- आमलकी 2 Parts
- शुद्ध शिलाजीत 3 Parts
- गुग्गुलु 4 Parts
- एरंड 4 Parts
- कटुका 22 Parts
- नीम की पत्ती का रस QS