अर्श या बवासीर एक पीड़ादायक रोग है। इसे इंग्लिश में पाइल्स या हेमोराइड कहते हैं। बवासीर में गुदा या मलाशय के नीचे के भाग में सूजन और असुविधा होती है। अन्य लक्षणों में खुजली और खून बहना शामिल है। रक्तस्राव आमतौर पर शौच, मोटापे या गर्भावस्था के दौरान तनाव से उत्पन्न होते हैं। पाइल्स होने के मुख्य कारणों में पुरानी कब्ज, पुरानी दस्त, भारी वजन उठाना, गर्भावस्था, या मल का बहुत अधिक कठोर होना शामिल है।
पुरुषों और महिलाओं दोनों में बवासीर बहुत आम हैं। 50 की उम्र के बाद के लोगों में बवासीर अधिक देखा जाता है। गुदा के अंदर बवासीर का सबसे आम लक्षण शौच के साथ लाल रक्त गिरना है।
बाबा रामदेव की दिव्य पतंजलि फार्मेसी के द्वारा निर्मित दिव्य अर्शकल्प वटी पाइल्स के उपचार के लिए एक हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है। बवासीर, भगंदर, फिस्चुला आदि इस दवा के मुख्य संकेत हैं।
दिव्य अर्शकल्प वटी को किन रोगों में लेते हैं
दिव्य अर्शकल्प वटी खुनी और बादी बवासीर में दी जाती है। इसका सेवन बवासीर में राहत देता है और बवासीर संबंधी जटिलताओं को कम करता है।
- खूनी बवासीर (विशेष फायदेमंद, खून गिरना रोकती है)
- बादी बवासीर
- भगंदर
- फिस्चुला
दिव्य अर्शकल्प वटी के फायदे Benefits of Patanjali Arshkalp Vati
अर्शकल्प वटी Arshkalp Vati बवासीर और फिस्टुला की दवा है। यह हर्बल एक्सट्रेक्ट के संयोजन से बनी है। यह पाइल्स होने के मुख्य कारण, यानि पाचन विकृति पर कम करती है। इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है, गैस निर्माण और असुविधा भी कम होती है। कब्ज और पाइल्स में इस दवा को लेने से फायदा होता है।
फायदा करे कब्ज़, पाइल्स और फिस्टुला में
रक्तार्श हो या बादी पाइल्स, अर्शकल्प वटी को लेने से लाभ होता है। इसमें कोई भी ऐसी जड़ी बूटी नहीं है जिसका शरीर पर गलत असर होता हो। यह बहुत ही सेफ दवाई है। इसे लम्बे समय तक लेने से भी कोई हानि नहीं है।
अर्शकल्प वटी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडाइबेटिक, जीवाणुरोधी, एनाल्जेसिक, सूजन कम करने, और ब्लीडिंग रोकने के गुण है। इस दवा को खाने से कब्ज़ दूर होती है, गुदा के आस पास की सूजन कम होने लगती है और खून गिरना रुकता है।
अर्शकल्प वटी के संकोचक और एंटीसेप्टिक गुणों से मस्से ठीक होते हैं और फूली हुई शिराएँ सामान्य होती है। दर्द निवारक होने से दर्द में आराम होता है। खुजली कम करने के गुण से गुदा के पास होने वालोखुजली कम होती है और लगातार प्रयोग से पाइल्स की समस्या ठीक होती है।
पाचन करे सही
पाचन खराब हो और पेट साफ़ नहीं हो तो अनेक रोग होते हैं और इन्ही में एक है पाइल्स। दिव्य अर्शकल्प वटी पाचन विकारों पर काम करती है। इसे लेने से पाचक रसों का स्राव ठीक से होता है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है और खाना सही से पचता है। विरेचक होने से आंते ठीक से साफ़ होती हैं जिससे पूरे पाचन तन्त्र की कार्यक्षमता ठीक होती है।
दूर करे कब्ज़
खान पान की आदतों से मल सूख जाता है और कब्ज़ हो जाती है। कब्ज़ बार बार रहे या अधिक समय तक बना रहे तो शौच के समय बहुत जोर लगाना पड़ता है जिससे गुदा के पास छोटे छोटे मस्से निकल आते हैं और खून गिरता है। इस अवस्था में रोगी को बैठने में भी डर लगता है। अर्शकल्प वटी के सेवन से कब्ज़ से राहत मिलती है। जब कब्ज़ दूर होती है तो भूख सही से लगती है और गैस नहीं बनती।
राहत दे खुजली, सूजन और दर्द से
अर्शकल्प वटी में सूजन को ठीक करने और दर्द और असुविधा को शांत करने की क्षमता है। इसमें विरेचक गुण हैं जो पेरिस्टाल्टिक आंदोलनों को प्रेरित करते हैं जिससे इस प्रकार आंतों को खाली करने में मदद होती है।
आँतों से दूर करे टॉक्सिक वेस्ट
आंते गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट का हिस्सा है और भोजन के अवशोषण के लिए जिम्मेदार है। आँतों में पानी अवशोषित हो जाता है और शेष अपशिष्ट पदार्थ गुदा के रास्ते हटाए जाने से पहले मल के रूप में संग्रहीत हो जाता है। जब अपशिष्ट या मल पाचन तंत्र के माध्यम से बहुत धीरे-धीरे चलता है या गुदा से प्रभावी ढंग से निकाला नहीं जा पाता तो मल पड़ा सडन करने लगता है जिससे गैस, दर्द या असुविधा होती है। अर्शकल्प वटी के विरेचक गुणों से आंते साफ़ होने लगती हैं जिससे गैस की समस्या और आँतों में पड़े हुए वेस्ट को निकालना शरीर के लिए सुविधाजंक हो जाता है।
दिव्य अर्शकल्प वटी की सेवनविधि और मात्रा
दिव्य अर्शकल्प वटी की 1 से 2 गोलियाँ, प्रातः खाली पेट और शाम को खाने से एक घंटा पहले, पानी या छाछ के साथ लेनी चाहिए।
बवासीर के लिए उपचार और घरेलू उपचार में सब्जियां, फल, नट, बीज और जड़ी बूटियों का उपयोग शामिल है।
उच्च फाइबर आहार मल नरम के साथ प्रभावी हो सकता है। कुछ मामलों में, राहत प्रदान करने के लिए हेमोराइड को हटाने के लिए एक चिकित्सा प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।
लंच के बाद, छाछ में पीसी हुई अजवाइन चौथाई चम्मच और सेंधा नमक मिलाकर पीने से पाइल्स में फायदा होता है।
खाना हल्का और सुपाच्य खाएं और आँतों में चिपकने वाले भोजन को नहीं लें।
दिव्य अर्शकल्प वटी के घटक | कम्पोजीशन
प्रत्येक 500mg की दिव्य अर्शकल्प वटी टेबलेट में:
- शुद्ध रसौंत 150 मिलीग्राम
- हरीतकी (हरड़) 100 मिलीग्राम
- निम्ब (नीम) बीज 100 मिलीग्राम
- बकायन 100 मिलीग्राम
- काकमाची (मकोय) 12.5 मिलीग्राम
- घृतकुमारी 12.5 मिलीग्राम
- नाग दौना 12.5 मिलीग्राम
- रीठा 5 मिलीग्राम
- देसी कर्पूर 5 मिलीग्राम
- खून खराबा 2.5 मिलीग्राम
दिव्य अर्शकल्प वटी की कीमत
दिव्य अर्शकल्प वटी के 20 ग्राम की कीमत 35 रुपये है।
दिव्य अर्शकल्प वटी के साइड इफेक्ट्स
दिव्य अर्शकल्प वटी का कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
कुछ सेंसिटिव लोगों में पाचन सम्बंधित कुछ लक्षण हो सकते हैं।
गर्भावस्था में प्रयोग
गर्भावस्था में इस दवा का सेवन नहीं करें। इसमें कुछ गर्म तासीर की जड़ी बूटियाँ हैं जो प्रेगनेंसी में नही ली जानी चाहिए।
Sir g me Rakesh divya arshkalp teblets le raha hu g mujhe aaram h bavasir me iske sath koi our sampurn medicine batao g ki me puri tarha thik ho saku g please
Sir esse kitne din tk use karna chey
Arshkalp vati kitne dino tak lena chahiye…piles aur constipation ki problem me…ek baar ka 21days ka course maine complete kar liya hai