अश्वकंचुकी रस को मुख्य रूप से अस्थमा (दमा), कफ, पेशाब अथवा मल की रुकावट से पेट फूलना, कब्ज़, बुखार आदि में दिया जाता है। इस दवा को रोग के अनुसार अनुपान के साथ लेने से सही फायदा होता है। जैसे शरीर में कफ बढ़ा है, सांस लेने में परेशानी है तो इसे शहद और अदरक के रस के साथ लें। पेट की समस्या में इसे ठन्डे पानी या पान के पत्ते के रस के साथ लें।
अश्वकंचुकी रस में पेट साफ़ करने, दस्त लाने और पसीना लाने के गुण है। इन गुणों से यह जमे कफ और जमे मल की की समस्या में फायदेमंद है।
अश्वकंचुकी रस में क्रोटन टिग्लियम के बीज हैं जिन्हें हिंदी, मराठी और उर्दू में जमालगोटा के नाम से जाना जाता है। शोधित किया बिना जमालगोटा विषाक्त होता है ।
आयुर्वेद में जमालगोटा के बीज को गाय के दूध के साथ शुद्ध करने के बाद दवा बनाने में इस्तेमाल करते हैं। शुद्ध जमालगोटा कब्ज, अपच, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों, आंतों में सूजन, गठिया, पेप्टिक अल्सर, आंत का दर्द, और सिर दर्द आदि में औषधीय रूप से अन्य द्रव्यों के साथ दिया जाता है।
अश्वकंचुकी रस के फायदे
अश्वकंचुकी रस मुख्य रूप से शरीर में वात और कफ के कारण होने वाले दोषों में लाभकारी है। इसके सेवन से कफ कम होता है और पित्त में वृद्धि होती है। तासीर में गर्म होने से यह कफ को पतला करती है।
अश्वकंचुकी रस को लेने से खांसी, जुकाम, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, घरघराहट आदि में फायदा होता है।
- इसे लेने से आंतो की गंदगी दूर होती है।
- इसे लेने से दस्त खुल के आता है।
- इसे लेने से पसीना होता है।
- इसे लेने से शरीर में गर्मी आती है।
- गले फेफड़ों में जमा कफ इसके सेवन से ढीला होता है जिससे सांस लेना सुगम होता है।
- बढे हुए यकृत और प्लीहा की स्थिति में इसे लेने से फायदा होता है।
- यह बुखार के सभी प्रकार के इलाज में उपयोगी है।
अश्वकंचुकी रस किन रोगों में फायदेमंद है?
- अपच
- अस्थमा
- खांसी
- पाचक पित्त में कमी
- पुरानी कब्ज़
- प्लीहा वृद्धि
- बुखार
- ब्रोंकाइटिस
- यकृत वृद्धि
- वात के कारण दर्द
- शरीर में बहुत अधिक कफ
- सांस की बीमारी
अश्वकंचुकी रस में क्या है?
अश्वकंचुकी रस का फार्मूला/कम्पोजीशन नीचे दिया गया है:
- शुद्ध पारद 1 भाग
- शुद्ध गंधक 1 भाग
- शुद्ध हरताल 1 भाग
- सुहागे की खील 1 भाग
- शुद्ध विष शुद्ध बच्छनाभ 1 भाग
- सोंठ , पिप्पली, काली मिर्च 3 भाग
- आंवला, हरड़, बहेड़ा 3 भाग
- शुद्ध जमालगोटा 3 भाग
- भावना द्रव्य: भांगरे का रस
अश्वकंचुकी रस कैसे बनाते हैं?
शुद्ध परद और गंधक को मिलाकर कज्जली बना लेवें।
कज्जली में अन्य घटक मिला कर, भांगरे के रस की 21 भावना देकर ख्ररल में घोंटकर 1 रत्ती की गोली बना कर सुखा कर रख लें।
अश्वकंचुकी रस की खुराक
अश्वकंचुकी रस को 125 mg की डोज़ में लिया जा सकता है।
इसे शहद, अदरक के जूस, तंबूल के जूस या ठन्डे पानी के साथ लेना चाहिए।
अश्वकंचुकी रस के साइड इफेक्ट्स
- अश्वकंचुकी रस में जमाल घोटा है जो दस्तावर है। दवा की अधिक मात्रा से लूज़ मोशन होते हैं।
- जमाल घोटा का अधिक सेवन करने से आँतों को हानि पहुँच सकती है।
- इस दवा को लम्बे समय तक नहीं लें।
- डॉक्टर की सलाह के बाद दवा लेना शुरू करें।
- यह दवा गर्भावस्था, स्तनपान और बच्चों को देने के लिए उपयुक्त नहीं है।
- बच्चों की पहुंच और दृष्टि से दूर रखें।