अयस्कृति तरल रूप में एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे मुख्य रूप से प्रमेह, पेशाब के रोग, पाइल्स, सफ़ेद रोग, कुष्ठ, स्वाद नहीं आना, कृमि रोग, ग्रहणी, एनीमिया, वजन घटाने की थेरेपी, त्वचा रोग आदि में प्रयोग किया जाता है। इसमें एक घटक के रूप में लौह शामिल है। संस्कृत में अयस शब्द लोहे अथवा आयरन के लिए प्रयोग किया जाता है। इस दवा में लोहे के साथ औषधीय पौधों के हिस्सों को शामिल किया गया है। इस औषधि के 12-24 मिलीलीटर भोजन के बाद दिन में दो बार लिया जाता हैया चिकित्सा चिकित्सक द्वारा दी गई सलाह के अनुसार लिया जाता है।
अयस्कृति में क्वाथ द्रव्य, संधान द्रव्य और प्रक्षेप द्रव्य होते हैं। क्वाथ द्रव्य के सभी अवयवों को 960 ग्राम की मात्रा में लिया जाता है और 98 लीटर पानी के साथ मिश्रित किया जाता है। संधान द्रव्य के अवयव में 9।5 किलोग्राम गुड़ और 1।6 लीटर शहद होते हैं। प्रक्षेप द्रव्य शुद्ध लौह पन्नी सहित फार्मूला अनुसार 48 ग्राम प्रत्येक अवयव होता है। क्वाथ द्रव्य को पानी में उबालते हुए काढ़ा बनाते हैं जब तक कि मात्रा एक चौथाई तक कम हो जाए। ,इसमें फिर गुड़, शहद और प्रक्षेप द्रव्य मिश्रित करते हैं। लाल गर्म लौह की परतें परिणामी तरल में डालते हिं जिससे यह पिघल जाए। तैयार तरल पदार्थ को फिर बर्तन में बंद कर एक महीने के लिए किण्वन के लिए रखा जाता है। इससे अयस्कृति बनता है जिसे ग्लास की बोतलों में फ़िल्टर और संग्रहित किया जाता है दवा के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।
अयस्कृति की खुराक और लेने का तरीका
अयस्कृति को 12-24 मिलीलीटर की मात्रा में गुनगुने पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए। आप इसे दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद ले सकते हैं।
अयस्कृति के साइड इफेक्ट्स
- लोहा होने से इसे अधिक मात्रा में लेना सेफ नहीं है। इस दवा को लेने के दौरान आयरन का कोई अन्य सप्लीमेंट नहीं लें।
- लोहा होने से कुछ लोगों को मुंह में स्वाद बदला सा लग सकता है।
- अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
- इससे कुछ लोगों को पेट में जलन हो सकती है। ऐसे में दवा की मात्रा को कम करें।
- पित्त की अदिक्त्ता में इसका प्रयोग नहीं करें।
अयस्कृति के फायदे | Ayaskriti Health Benefits in Hindi
अयस्कृति एक आयरन सप्लीमेंट है जिसे पीने से खून की कमी दूर होती है। यह शरीर में सूजन, मॉलअब्सोर्बशन, मोटापे और चमड़ी के रोगों में भी लाभ करती है। अयस्कृति निम्न रोगों में दी जाती है:
- अरुचि
- कुअवशोषण विकार
- कुष्ठ
- कृमि संक्रमण
- ग्रहणी
- चमड़ी रोग
- चर्म रोग
- टॉनिक
- पांडू
- पाइल्स
- प्रमेह
- बवासीर
- भूख में कमी
- मूत्र विकार
- मेटाबोलिक रोग
- मोटापा
- रक्ताल्पता
- लुकोडर्मा (श्वित्र)
अयस्कृति दूर करे खून की कमी
अयस्कृति में लोहा है जिससे यह लोहे का आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है। इसे पीने से धीरे धीरे लोहे की कमी दूर होती है और अनीमिया की समस्या नहीं होती।
अयस्कृति फायदा करे चमड़ी रोगों में
अयस्कृति में जड़ी बूटियाँ है जो इसे त्वचा रोगों में फायदेमंद बनाती है।
अयस्कृति ओबेसिटी में करे लाभ
अयस्कृति पाचन, मेटाबोलिज्म और अवशोषण में सुधार करती है। इसे पीने से खून की कमी दूर होती है और शरीर में खून की कमी होने वाली सूजन नष्ट होती है। यह रक्त में वृद्धि कर शरीर की दुर्बलता, जल्दी थकावट, अजीब चीजों को खाने की आदत आदि की समस्या को दूर करती है।
अयस्कृति से कृमि रोग हों दूर
अयस्कृति कृमि रोगों और कृमियों के कारण होने वाली खून की कमी आदि की समस्या में भी लाभप्रद है।
- कब प्रयोग न करें
- लोहे की अधिकता
- गर्भावस्था
- स्तनपान
- पेट में सूजन gastritis
- एसिडिटी आदि।