दशमूलारिष्ट एक बहुत ही प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाई है जिसे प्रसव के बाद एक टॉनिक के रूप में महिला को दिया जाता है। यह नई मां के के स्वास्थ्य के लिए अच्छी दवा है।
दशमूलारिष्ट पीने से पोस्ट-डिलीवरी कमजोरी की समस्या दूर होती है। यह महिलाओं के लिए पोषण सिरप है, जिससे नई मां में प्रसव के उपरान्त आने वाली स्वास्थ्य समस्याएं दूर होने में मदद होती है।
यह दवा पोस्टपर्टम या प्रसव बाद की समस्याओं को रोकती है जैसे गर्भाशय से स्राव, मूत्राशय और गुर्दे की संक्रामक बीमारियों, पीठ दर्द, थकान, अतिरिक्त स्राव, गर्भाशय को वापस सामान्य स्थिति में लाना, स्तन में सूजन आदि। यह postpartum अवसाद का प्रबंधन और मानसिक स्थिति को ठीक करने में मददगार है। यह शरीर से विष को दूर कर सकती है और शरीर को पोषण की आपूर्ति देती है।
यह चयापचय में सुधार करने और पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करती है। दशमूलारिष्ट एंटी-ऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक, एंटीमिक्राबियल, कायाकल्प पुनर्निर्माणकर्ता और पुनर्स्थापनात्मक, इम्यूनो-मॉड्यूलेटर, एंटी-तनाव और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त दवा है।
डाबर दशमूलारिष्ट Dabur Dashmularishta की कीमत
डाबर दशमूलारिष्ट 450 मिलीलीटर एमआरपी: 125 रुपये
पैकिंग
225 मिलीलीटर, 450 मिलीलीटर और 680 मिलीलीटर
दशमूलारिष्ट के फायदे Health Benefits of Dabur Dashmularishta
दशमूलारिष्ट एक 100% आयुर्वेदिक टॉनिक हैं जो महिलाओं को प्रसव के बाद कमजोरी से ठीक होने में फायदेमंद है। यह कायाकल्प और Revitalizer गुणों से युक्त है। यह दिमाग और शरीर को मजबूत करने वाली आयुर्वेदिक दवाई है। यह पाचन में सुधार करती है और ताकत और सहनशक्ति प्रदान करती है। यह त्वचा के स्वास्थ्य और चमक के लिए अच्छा है। यह महिलाओं में सामान्य कमजोरी और थकान से लड़ती है।
यह आयुर्वेदिक दवाई ताकत प्रदान करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है, दैनिक काम के लिए ताकत देती है। इसे लेने से श्वसन संबंधी विकार, उल्टी, एनीमिया, यकृत रोग, त्वचा रोग, कब्ज़ यूटीआई और पीलिया आदि में भी लाभ होता है । दशमूलारिष्ट को सामान्य स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए भी किया जाता है जो गर्भ धारण नहीं कर पा रही है।
दशमूलारिष्ट है पोस्ट-डिलीवरी टॉनिक
दशमूलारिष्ट मुख्य रूप से पोस्ट-डिलीवरी कमजोरी से पुनर्भुगतान के लिए महिलाओं के लिए पोषण सिरप है। यह एक है आयुर्वेदिक चिकित्सा में 50 से अधिक की औषधीय वनस्पतियों के साथ साथ दस जड़ी बूटी की जड़ों का समूह है। यह पोस्ट-डिलीवरी से संबंधित तनाव और कमजोरी से प्रभावी ढंग से और स्वाभाविक रूप से पुनर्प्राप्त करने में मदद करती है।
दशमूलारिष्ट दे ताकत
दशमूलारिष्ट नई माताओं के लिए प्रसव के बाद शीघ्रता से ठीक होना सुनिश्चित करता है जिससेवे बच्चे की सही से देखभाल कर सकें और उसे दूध पिला सकें।
दशमूलारिष्ट पाचन को करे सही
दशमूलारिष्ट चयापचय में सुधार करने और पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करती है।
दशमूलारिष्ट के द्रव करे पूरे स्वास्थ्य को बेहतर
दशमूलारिष्ट में मंजीठ है जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है । यह एक कायाकल्पक के रूप में कार्य करता है और त्वचा की चमक बनाने में मदद करते हुए एंटी-भड़काऊ और एनाल्जेसिक गुण होते हैं । इसमें अश्वगंध है जो एक कायाकल्पक है और इसमें इम्यूनो-मॉड्यूलेटर, एंटी-तनाव और एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं। द्राक्षा पौष्टिक है, शरीर को मजबूत करता है और एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। आंवला और गुडुची एंटीऑक्सीडेंट हैं और इम्यूनो-मॉड्यूलेटर गुण हैं।
यह न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों के लिए भी उपयुक्त प्राकृतिक उपचार है। यह मांसपेशियों, हड्डियों, अस्थिबंधन की बीमारियों और प्रतिरक्षा में सुधार करने वाली दवाई है।
दशमूलारिष्ट के संकेत
दशमूलारिष्ट को लेने से प्रसव के बाद होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में फायदा होता है। साथ ही इसे निम्न दिक्कतों में भी ले सकते हैं:
- Postpartum कमजोरी
- उल्टी
- एनोरेक्सिया
- कटिस्नायुशूल
- कष्टार्तव
- कुपोषण
- खट्टी डकार
- खांसी
- नसों का दर्द
- पीठ दर्द
- पीलिया
- पेशाब में जलन
- बांझपन
- भूख में कमी
- रक्ताल्पता
- शुक्राणु की कमी
- श्रोणि सूजन की बीमारी
- संधिशोथ
- सांस फूलना
- सामान्य कमज़ोरी
- सूजन स्तन आदि।
खुराक और पीने की विधि
- (केवल वयस्क) 1 से 2 चम्मच (15 मिलीलीटर -30 मिलीलीटर) भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिला कर लें या चिकित्सक द्वारा निर्देशित रोप में लें।
- इसे खाली पेट नहीं लें।
- यदि पेट में जलन या खट्टी डकार आने लगे तो दवा की मात्रा को कम करे दें।
- इसे हमेशा पानी में मिला आकर लें।
कौन नहीं ले
- एसिडिटी
- पेट की जलन
- मुंह में छाले
- प्रेगनेंसी आदि।
दशमूलारिष्ट का कम्पोजीशन
दशमूलारिष्ट में मुख्य द्रव्य दशमूल या दस जड़ें है (बेल, गम्भारी, पाटल, अरणी, अरलू, सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी अथवा कण्टकारी और गोखरू)।
दशमूलारिष्ट बनाने के लिए दशमूल 2 किलो, चित्रक की छाल 1 किलो, पुष्कर की जड़ 1 किलो, लोध्र और गिलोय 800-800 ग्राम, आंवला 640 ग्राम, जवासा 480 ग्राम, खैर की छाल या कत्था, विजयसार और गुठलीरहित बड़ी हरड़- तीनों 320-320 ग्राम, लेते है।
कूठ, मजीठ, देवदारु, वायविडंग, मुलहठी, भारंगी, कबीटफल का गूदा, बहेड़ा, पुनर्नवा की जड़, चव्य, जटामासी, फूल प्रियंगु, सारिवा, काला जीरा, निशोथ, रेणुका बीज (सम्भालू बीज), रास्ना, पिप्पली, सुपारी, कचूर, हल्दी, सोया (सूवा) पद्म काठ, नागकेसर, नागरमोथा, इन्द्र जौ, काक़ड़ासिंगी, विदारीकंद, शतावरी, असगन्ध और वराहीकन्द, सब 80-80 ग्राम लिया जाता है।
मुनक्का ढाई किलो, शहद सवा किलो, गुड़ 20 किलो, धाय के फूल सवा किलो लेते हैं।
शीतलचीनी, सुगंधबाला या खस, सफेद चंदन, जायफल, लौंग, दालचीनी, इलायची, तेजपात, पीपल, नागकेसर प्रत्येक 80-80 ग्राम और कस्तूरी 3 ग्राम लेते हैं।
बनाने का तरीका
दशमूल से लेकर वराहीकन्द को बताई मात्रा के अनुसार लेकर जौकुट करते हैं। और जितना सबका वजन हो, उससे आठ गुने पानी में डालकर उबालते हैं। चौथाई रहने पर इसे उतार लेते हैं। मुनक्का अलग से चौगुने अर्थात 10 लीटर पानी में डालकर उबालते हैं। जब सा़ढ़े सात लीटर पानी शेष बचे, तब इसे उतार लेते हैं।
दोनों काढ़ों (औषधि और मुनक्का) को मिलाकर इसमें शहद और गुड़ डाल देते हैं। धाय के फूल से लेकर नागकेसर तक की 11 दवाओं को खूब महीन पीसकर काढ़े के मिश्रण में डाल दिया जाता है। इस मिश्रण को मिट्टी या लकड़ी के बर्तन में भरकर मुंह पर ढक्कन लगाकर कपड़मिट्टी से ढक्कन बंद कर 40 दिन तक रख दिया जाता है। 40 दिन बाद खोलकर छानते हैं और बोतलों में भरते हैं। यह अब उपयोग के लिए तैयार है।
Dilevry surgery se hui hai kya dusmularisth le sakti hu
हां आप डिलीवरी के ३०-45 दिन बाद इसे ले सकती हैं
Kaese pina h pani m milakr ki aese hi
Kya male b is dawai ka sevan kr skte he
बराबर गुनगुना पानी मे मिलाकर खाने के बाद