गंधक रसायन के फायदे, नुकसान, फार्मूला और प्राइस की जानकारी

गंधक रसायन, शुद्ध किये हुए गंधक, जड़ी बूटियों और गाय के दूध से तैयार किया जाता है। जानिये गंधक रसायन किन किन बिमारियों में उपयोगी है और इसके फायदे क्या होते हैं, गंधक रसायन को लेने का तरीका और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं।

गंधक का इंग्लिश नाम सल्फर है। सल्फर में एंटीफंगल, जीवाणुरोधी, और केराटोलाइटिक गतिविधि पाई जाती है। इसका उपयोग त्वचा रोग संबंधी विकारों जैसे मुँहासे वल्गारिस, रोसैसा, सेबरेरिक डार्माटाइटिस, डैंड्रफ, स्काबीज आदि में होता आया है। सल्फर को मॉडर्न मेडिसिन में भी अकेले या सोडियम सल्फासिटामाइड या सैलिसिलिक एसिड जैसे एजेंटों के संयोजन में, कई त्वचा स्थितियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।

आयुर्वेदिक रसशास्त्र, साहित्य के अनुसार, गंधक को उपरस समूह में शामिल किया गया है। वैदिक काल से गंधक का इस्तेमाल दवाई के रूप में होता है। संहिता काल में, इसे बाहरी और आंतरिक दवा दोनों के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया गया। एंटीमाइक्रोबायल गतिविधि के कारण सल्फर युक्त दवाओं का उपयोग चमड़ी के रोगों में किया जाता है।

गंधक रसायन को बनाने के लिए पहले आयुर्वेद के अनुसार गंधक को शुद्ध किया जाता है। इसे फिर गाय के दूध में घोंटा जाता है। इसमें फिर चातुर्जात (दालचीनी, इलायची , तेजपात और नागकेशर ) काढा, गिलोय रस, त्रिफला काढा, सोंठ काढा, भृंगराज रस और अदरक रस से 8 बार भावना दी जाती है। इससे एक पेस्ट तैयार होता है जिसे सुखा कर गोली बनाया जाता है।

गंधक रसायन को विभिन्न त्वचा विकारों के प्रबंधन में प्रयोग किया जाता है। इसे पुराने बुखार, शरीर में गंदगी, खुजली, एक्जिमा आदि रोगों में लेने से फायदा होता है। कई बार गंधक रसायन के साथ कई अन्य दवाएं भी रोग के अनुसार लेने की सलाह दी जाती है।

गंधक रसायन की एक गोली की स्ट्रेंग्थ 300 mg से 500 mg होती है और डोज़ भी इसी के हिसाब से होती है ।इसे डाबर, झंडु बैद्यनाथ, धूतपापेश्वर, अमृता समेत बहुत सी फार्मेसी बनाती हैं।

गंधक रसायन के फायदे Benefits of Gandhak Rasayan

गंधक रसायन में एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी प्रुरीटीक गुण होते हैं। शरीर में खुजली होती है, चमड़ी का रंग डार्क हो गया है, बुखार ठीक नही हो रहा, या सूजन वाले त्वचा के रोग हैं तो इसका इस्तेमाल करके देखना चाहिए।

खून करे साफ़

गंधक रसायन खून purifies blood साफ़ करता है।

नष्ट करे जीवाणु

गंधक रसायनरोगाणुरोधी antimicrobial, जीवाणुरोधी antibacterial, कवक रोधी antifungal, सूजन दूर करने के anti-inflammatory गुणों से भरपूर है।

पुराने क्रोनिक चमड़ी रोगों में लाभकारी

गंधक रसायन दर्द से राहत देता है और घावों को जल्दी भरने में मदद करता है। यह क्रोनिक/पुराने त्वचा रोगों में लाभकारी प्रभाव दिखाता है।

सुधारे पाचन

गंधक रसायन शक्ति, पोषण देता है और पाचन में सुधार करता है।

रंग करे साफ़

गंधक रसायन रंग में सुधार improves complexion करता है।

गंधक रसायन किन रोगों में इस्तेमाल किया जाता है?

गंधक रसायन चमड़ी की दवा है। इसे खाने से खून साफ़ होता है और पित्त की खराबी दूर होती है। इसे लेने से शरीर में जमा तोक्सिंस दूर होते हैं, यह एंटीमाईक्रोबियल और एंटीफंगल है। यह एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक भी है और लगभग सभी प्रकार के संक्रमणों में फायदेमंद है। इसे पुराने बुखार में भी दिया जाता है।

गंधक रसायन के गुण हैं:

  • इम्युनिटी बढ़ाना
  • एंटीऑक्सीडेंट
  • एनाल्जेसिक
  • कामोद्दीपक
  • कृमिनाशक
  • खुजली दूर करना
  • जीवाणुरोधी
  • पाचन उत्तेजक (हल्के प्रभाव)
  • ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक
  • रक्त शोधक
  • रोगाणुरोधी
  • विषाणु-विरोधी
  • शांतिदायक
  • सूजन कम करना

गंधक रसायन के इन गुणों को कारण इसे निम्न रोगों में इस तेमाल कर सकते हैं:

  • अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे आंतों से संबंधित विकार
  • इर्रेटेबल बाउल सिंड्रोम आईबीएस
  • उपदंश या यौन रोग
  • ऊपरी श्वसन पथ संक्रमण
  • कंडू, कुष्ठ
  • कुष्ठरोग (सहायक के रूप में और अकेले काम नहीं करता)
  • खुजलीखुजली,पामा, एक्जिमा
  • खून साफ़ करने के लिए
  • खोपड़ी के फंगल संक्रमण
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार
  • गैस्ट्र्रिटिस
  • डायरिया
  • तंत्रिका संबंधी विकार जैसे पक्षाघात, हेमिप्लेगिया, न्यूरोपैथी आदि
  • दाद-खाज-खुजली
  • नाड़ीव्रण
  • पाचन शक्ति में सुधार
  • पुराना बुखार
  • पुरुषों और महिलाओं में प्रजनन क्षमता में सुधार
  • प्रजनन क्षमता और शक्ति में सुधार
  • फंगल इन्फेक्शन
  • फोड़े-फुंसी
  • बांझपन या ओलिगोस्पर्मिया
  • भगंदर
  • मधुमेह
  • मसूड़ों की सूजन संबंधी विकार (गिंगिवाइटिस और पेरीओडोंटाइटिस)
  • मसूड़ों में दर्द
  • मालबसर्स्प्शन सिंड्रोम
  • मुँहासे
  • मूत्र पथ विकार
  • राइनो-साइनसिसिटिस
  • रूसी
  • वात-रक्त, गठिया
  • शरीर में जहर
  • श्वसन प्रणाली के जीवाणु संक्रमण से जुड़े श्वास की समस्या
  • सभी प्रकार के चमड़ी के रोग
  • सोरायसिस
  • हृदय क्षेत्र में दर्द

गंधक रसायन सेवन करने का तरीका

  • गंधक रसायन 1-3 गोली की मात्रा में पानी के साथ ले सकते है।
  • वयस्क इसे 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा में ले सकते हैं।
  • पांच साल से 12 वर्ष के बच्चों को इसकी 250 ग्राम की मात्रा दे सकते हैं।
  • इसे भोजन करने के बाद लेना चाहिए।
  • इसे दिन में एक से दो बार तक ले सकते हैं।
  • इसे अगर लम्बे समय तक ले रहें हैं तो एक महीने लें फिर आधे महीने छोड़ दें और फिर लें। इस तरह से गैप बना कर लें।

गंधक रसायन के साइड इफेक्ट्स Side effects

कुछ लोगों में निम्न लक्षण हो सकते हैं:

  • पेट की ऐंठन के साथ ढीले मल
  • सूजन
  • पेट खराब होना
  • ऐसे में दवा की डोज़ कम करें।

गंधक रसायन के साथ क्या नहीं खाएं

गंधक रसायन लेते समय ज्यादा खट्टा और पित्त बढाने वाला भोजन नहीं करें।

बहुत ज्यादा साग नहीं खाएं।

गंधक रसायन कब नहीं लें Contraindications

  • प्रेगनेंसी में इसे नहीं लें।
  • शरीर में यदि कोई रोग है तो डॉक्टर की राय के बाद ही इसे लें।
  • कुछ कंपनियां हर्बल डेकोक्शंस और रस के साथ प्रसंस्करण के बाद चीनी भी जोड़ती हैं। डायबिटीज में इस्तेमाल से पहले लेबल पढ़ें।

गंधक रसायन का कम्पोजीशन Gandhaka Rasayana Composition

Ingredients of Gandhak Rasayan

  • शुद्ध गंधक दस ग्राम
  • गाय का दूध
  • निम्न का काढ़ा या जूस:
  • दालचीनी
  • छोटी इलाइची
  • तेजपत्ता
  • नागकेशर
  • गिलोय
  • त्रिफला
  • सोंठ

गंधक रसायन की प्राइस

गंधक रसायन कई कंपनियों द्वारा बनाया जाता है जैसे बैद्यनाथ गंधक रसायन, धुपेश्वर गंधक रसायन, डाबर, उंझा, पतंजलि गंधक रसायन वटी और बहुत सारी। सबके दाम अलग अलग हैं और गंधक रसायन की कीमत ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।

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