रसशास्त्र, आयुर्वेद विज्ञान का एक अभिन्न अंग है जो खनिज उत्पत्ति की दवाओं से संबंधित है, और उनके गुणों, विशेषताओं, प्रसंस्करण तकनीकों, चिकित्सीय पदार्थों, प्रतिकूल प्रभावों और उनके प्रबंधन आदि की संभावनाओं को व्यापक तरीके से बताता है। गोदंती (जिप्सम CaSO4 7H2O) अच्छी तरह से जाना हुआ चिकित्सीय रसद्रव्य है और इसका प्रयोग आमतौर पर भस्म के रूप में किया जाता है। जिप्सम प्राकृतिक रूप से समुद्र के पानी से संलग्न बेसिन की वाष्पीकरण से या चूना पत्थर पर पाइरिट्स के मौसम द्वारा उत्पादित रासायनिक क्रिया के द्वारा बनता है।
20 वीं शताब्दी तक, गोदंती (गाय दांतों से समानता के लिए नाम) का विवरण आयुर्वेदिक क्लासिक्स में उपलब्ध नहीं है।, श्री सदानंद शर्मा पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इसके गुणों को वर्णित किया और शोधना और मारण प्रक्रिया को रस तरंगिनी में प्रस्तुत किया।
गोदंती भस्म एक आयुर्वेदिक हर्बल खनिज फार्मूलेशन है जो भारतीय पारंपरिक प्रणाली में एंटी अल्सर और ज्वरनाशक दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस आयुर्वेदिक दवा में चिकित्सीय रेंज की निचली खुराक में महत्वपूर्ण गैस्ट्रो सुरक्षात्मक और एंटीप्रेट्रिक गतिविधि होती है और प्रभाव खुराक निर्भर नहीं होता है। गोदंती भस्म का असर एलोपैथिक दवा पेरासिटामोल की तरह होता है। नए पुराने ज्वर, मलेरिया। टाइफाइड, पित्तज ज्वर या और सर दर्द के लिए इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
अन्य नाम:
- गोदंती भस्म
- गोदंती हरिताल भस्म
- गोदंती (हरिताल) भस्म
- हरिताल गोदंती भस्म
गोदंती भस्म के संकेत
- अस्थिमृदुता
- उच्च रक्तचाप से सिरदर्द
- ऊपरी श्वसन संक्रमण
- ऑस्टियोपोरोसिस
- कम अस्थि खनिज घनत्व
- कास
- कैल्शियम पूरक
- गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव
- जीर्ण ज्वर
- जुखाम
- जोड़ों में सूजन
- ज्वर
- टाइफाइड बुखार
- तनाव से सिरदर्द
- त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल
- निम्न अस्थि खनिज घनत्व
- पित्त के कारण बुखार
- प्रसव के बाद ज्वर
- बहुत प्यास लगना
- मलेरिया
- मसूड़े की सूजन
- माइग्रेन
- योनिशोथ
- ल्यूकोरिया
- विषम ज्वर
- शरीर में पित्त के कारण जलन
- शरीर में सामान्य दर्द एवं पीड़ा
- श्वास
- श्वेत प्रदर
- संधिशोथ गठिया के कारण जोड़ों पर जलन का एहसास
- सिरदर्द
- सूखी खाँसी
- पेट में ज्यादा एसिड बनना
- पेट के अल्सर
डोज़
- गोदंती भस्म के पाउडर को लेने की मात्रा 125mg – 250mg है। इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम ले सकते हैं।
- इसे शहद, घी, तुलसी स्वरस, मिश्री के साथ लिया जाता है।
- गोदंती भस्म लेने का समय आमतौर पर भोजन करने के बाद है। या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
गोदंती भस्म के फायदे
गोदंती भस्म, अल्सर, बुखार, कास, श्वास, सिर दर्द, पुराने बुखार, पित्तज ज्वर, सफ़ेद पानी की समस्या, कैल्शियम की कमी, आदि में उपयोगी दवा है। इसमें शरीर में ठंडक देने, पित्त कम करने, एंटासिड और एसट्रिनजेंट गुण हैं। यह किसी भी प्रकार के बुखार में दी जा सकती है। इससे बुखार उतारने, सिर दर्द और शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों में प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं।
शरीर में लाये ठंडक
गोदंती भस्म प्रकृति में ठंडी है। इसके सेवन से शरीर में गर्मी कम होती है।
दे राहत बुखार से
गोदंती भस्म एक ज्वरनाशक दवा है। इसका असर पैरासिटामोल जैसा होता है। मलेरिया से होने वाले ज्वर में, गोदंती भस्म को सुदर्शन पाउडर के फांट और सुदर्शन अर्क के साथ लेते हैं। अथवा गोदंती भस्म 2 रत्ती, फिटकरी भस्म 2 रत्ती, सफ़ेद जीरे का पाउडर 4 रत्ती, को तुलसी के पत्ते के रस, शहद के साथ दिया जाता है।
कम करे अल्सर का असर
एंटासिड (पित्त कम करना) गुण के कारण यह अल्सर, पेट के घाव, पित्त की अधिकता में फायदा करती है।
मजबूत करे हड्डियाँ
कैल्शियम होने से यह हड्डियों को मजबूत करती है। यह हड्डियों की सुजन, हड्डियों की कमज़ोरी,आदि में फायदेमंद है।
सिर के दर्द को करे कम
सिर दर्द, माइग्रेन, सूर्यावर्त्त, अध कपारी, अर्धावभेदक एक ऐसी समस्या है जिसका एलोपैथिक चिकित्सा में कोई उपचार नहीं है। इसमें व्यक्ति के सर में एक साइड तेज दर्द होता है। यह एक आम समस्या है जो क्वालिटी ऑफ़ लाइफ पर असर करती है। एक साइड होने वाले सर के दर्द में गोदंती भस्म 3 रत्ती + मिश्री 1 ग्राम + गाय का घी 10 ग्राम, दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। इसे सूरज के उगने से हर चार घंटे पर दें। बुखार और सिरदर्द में इसका प्रभाव आधे घंटे से 2 घंटे बाद दिखाई देता है।
गोदंती भस्म के नुकसान
गोदंती भस्म ज्यादा मात्रा में न लें। गोदंती भस्म एक महीने से ज्यादा नहीं लें। अधिक लेने पर या लम्बे समय तक लेने से इससे लीवर प्रभावित हो सकता है।
- गोदंती भस्म से कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
- गोदंती भस्म में कैल्शियम होता है, इसलिए अधिक सेवन से किडनी पर जोर पड़ता है।
गर्भावस्था और स्तनपान
गोदंती भस्म गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।