लक्ष्मी नारायण रस गठिया और जोड़ों के दर्द के लिए

लक्ष्मी नारायण रस एकआयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग गठिया, बुखार, गैस्ट्रो एंटरटाइटिस, अतिसार आदि के इलाज में किया जाता है। यह शरीर में वता और पिट्टा दोषों को संतुलित करता है। इस दवा में भारी धातु सामग्री होती है, इसलिए केवल किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही लिया जाना चाहिए।

लक्ष्मी नारायण रस Laxmi Narayan Ras in Hindi का उपयोग वात विकारों समेत बहुत से रोगों में किया जाता है। वात विकार में शरीर के विभिन्न अंगों से सम्बंधित कई रोग आते हैं। जोड़ों पर इसका असर हो तो गठिया, जोड़ो का दर्द सूजन हो जाता है। पेट की हिस्से में वायु विकार हो तो गैस की समस्या होती है जो यदि पीठ में चढ़ जाए तो पीठ दर्द हो जाता है। यह दवा वात विकारों में फायदा करती है।

लक्ष्मी नारायण रस को प्रसव के बाद औरतों में होने वाली दिक्कतों में भी दिया जाता है। साथ ही सन्नीपात रोगों, बुखार, विषम ज्वर आदि में भी यह दवा लाभप्रद है।

लक्ष्मी नारायण रस को विसूचिका, ग्रहणी, खुनी दस्त आमातिसार, तथा पेट दर्द में भी देते हैं।

लक्ष्मी नारायण रस के संकेत

लक्ष्मी नारायण रस को शरीर में दूषित पदार्थों के संचित होने से उत्त्पन्न वाले रोगों में दिया जाता है। यह विष के असर को नष्ट कर तथा शरीर के रस रक्त और धातुओं को पोषित कर रोग को नष्ट करने वाली दवा है। इसे एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम दवा समझा जा सकता है जो शरीर में विजातीय पदार्थों के होने वाले रोगों को नष्ट करती है।

  • अतिसार
  • आम-शूल
  • कफात्मक ज्वर
  • गैस्ट्रो एंटरटाइटिस
  • धातुगत ज्वर
  • पक्षाघात, अपतन्त्रक-अर्दित आदि रोगों का ज्वर
  • प्रसव बाद के रोग
  • बुखार
  • रक्तातिसार
  • वात विकार
  • वात-व्याधि
  • विषम ज्वर
  • संग्रहणी
  • सूतिका रोग
  • हैजा कोलेरा

लक्ष्मी नारायण रस की डोज़

लक्ष्मी नारायण रस को लेने की डोज़ 125 से 250 मिलीग्राम है। दवा को कभी भी बताई गई डोज़ से ज्यादा तथा अधिक समय तक नहीं लें। दिन में एक या दो बार से ज्यादा नहीं लें। यदि इसे लेने पर कोई भी साइड इफ़ेक्ट लगे तो दवा का सेवन बंद कर डॉक्टर से संपर्क करें।

कब लें

भोजन के बाद।

अनुपान

  • अदरक रस
  • मधु
  • पान के पत्ते का रस
  • नारियल पानी

लक्ष्मी नारायण रस के साइड इफेक्ट्स

साइड इफ़ेक्ट से बचने के लिए लक्ष्मी नारायण रस को चिकित्सक द्वारा सलाह से ही लें और सीमित अवधि के लिए लें।

हो सकता है जहरीला असर

  • अधिक खुराक में सेवन जहरीला प्रभाव कर सकता है।
  • बड़ी खुराक के मामले में निम्नलिखित दुष्प्रभाव संभव हैं:
  • ब्लैक आउट
  • सिर के पीछे दर्द
  • शीत हाथ और पैर
  • जीभ भारी होना
  • अनियमित धड़कन
  • कम रक्तचाप और नाड़ी की दर
  • जी मिचलाना
  • मुंह के चारों ओर सुन्नता
  • मूत्र का प्रतिधारण
  • पसीना
  • चक्कर आना आदि।

लम्बे समय तक के सेवन से विषैला असर

इस दवा को स्वयं से लेना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि कई धातुएं हैं।

गर्भावस्था, स्तनपान और बच्चों के लिए असुरक्षित

इस दवा को कभी भी गर्भावस्था, स्तनपान में नहीं लिया जाना चाहिए।

लक्ष्मी नारायण रस के अवयव

  • शुद्ध गंधक 1 भाग
  • शुद्ध हिंगुला 1 भाग
  • शुद्ध टंकण 1 भाग
  • विष वत्सनाभ 1 भाग
  • कटुका 1 भाग
  • पिप्पली 1 भाग
  • कुटज 1 भाग
  • अभ्रक भस्म 1 भाग
  • सेंधा नमक 1 भाग

भावना द्रव्य

  • दंती द्रव्य
  • हरीतकी
  • आमलकी

लक्ष्मी नारायण रस बनाने की विधि

शुद्ध हिंगुल, शुद्ध गन्धक, शुद्ध बच्छनाग, सुहागे की खील, कुटकी, अतीस, पीपल इन्द्रजौ, अभ्रक भस्म, सेन्धा नमक प्रत्येक समभाग लेकर सबको एकत्र खरल करके दन्तीमूल और त्रिफला के रस में पृथक्-पृथक् 3-3 दिन तक घोंट कर गोलियाँ बना छाया में सुखाकर रख लें।

निर्माता

श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद

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