आयुर्वेद दुनिया की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद, जीवन के हर पहलू से संबंधित है। आयुर्वेद के दो उद्देश्य हैं पहला अच्छा स्वास्थ्य व रोगों से बचाव और दूसरा बीमारी का इलाज।
आयुर्वेद में इन दोनों ही हितों को पूरा करने के लिए रसायनों को विकसित किया गया है। रसायन चिकित्सा आयुर्वेद की आठ शाखाओं में से एक है। रसायन दवाएं वे दवाएं हैं जो शरीर में रस, ओज और धातु को बढ़ाती हैं। स्वस्थ व्यक्तियों में इनका सेवन स्वास्थ्य प्रणाली को टोन करने में सक्षम हैं। रसायन प्राकृतिक प्रतिरक्षा में वृद्धि, सामान्य कल्याण को बढ़ाने, शरीर के सभी मौलिक अंगों के कामकाज में सुधार करने और उम्र बढ़ने के लक्षणों में सहायता करता है।
रसायन चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य बुढ़ापे की प्रक्रिया में बाधा डालना और शरीर में अपघटन प्रक्रिया में देरी करना है। इसे सकारात्मक स्वास्थ्य और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस भी एक रसायन दवा है। इसे एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम दवा समझा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में बल, ताकत, वीर्य, ओज की वृद्धि होती है तथा रोग दूर होते है। इसे लेने से पुराने रोगों को दूर करने में मदद होती है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस के फायदे
नारदीय लक्ष्मीविलास रस बुखार, कफ, चमड़ी के रोगों, सिर के रोगों, गुदा के रोगों आदि में लाभप्रद है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है। यह नए, पुराने बुखार, गीली-सूखी खांसी, जुखाम, सारे बदन में दर्द, लार घोटने में दिक्कत-दर्द, पूर्ण-विषम और मियादी बुखार सभी में लाभप्रद है। यह एक रसायन औषधि है जो की धातुओं को पोषित करती है और शरीर का बल, तेज़ और ओज बढ़ाती है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस का मुख्य उपचारात्मक प्रभाव फेफड़ों, फुफ्फुस, वायुमार्ग, पेरीकार्डियम और रक्त वाहिकाओं पर दिखाई देता है। यह दिल, हृदय वाल्व और त्वचा पर भी कार्य करता है।
टॉनिक दवाई
नारदीय लक्ष्मीविलास रस एक रसायन है जिसे लेने से शरीर में बल, ताकत, वीर्य, ओज की वृद्धि होती है। शरीर में बल आने से यह अनेक तरह के रोगों को दूर करने में मददगार है। यह हृदय को शक्ति देती है तथा सिर, त्वचा, और प्रजनन-मूत्र प्रणाली के विभिन्न रोगों के इलाज में लाभकारी है। इसके सेवन से वृद्ध पुरुष भी तरुणों जैसी शक्ति और स्फुर्ति सम्पन्न हो जाता है।
इसे लेने से असमय बालों का सफेद होना रुकता है।
वात, पित्त और कफ दोष के विक्कारों में लाभप्रद
नारदीय लक्ष्मीविलास रसशरीर में किसी भी दोष के कुपित होने से हुए रोग के लिए लाभप्रद है। यह जुखाम, हर तरह की खांसी, जकड़न, फेफड़ों में सूजन-दर्द, पुराना साइनोसाईटिस, बहुत अधिक कफ, कफ के कारण बुखार, निमोनिया, अस्थमा, इन्फ्लुएंजा आदि को दूर करती है।
पुरुषों के लिए फायदेमंद
नारदीय लक्ष्मीविलास रस रतिवर्धक, रक्तवर्धक, बलवर्धक, वीर्यवर्धक और धातु वर्धक औषधि है। यह सभी बीस प्रकार के प्रमेह में उपयोगी है। यह नपुंसकता और यौन दुर्बलता में उपयोगी है। यह कामोद्दीपक है और कामेच्छा को बढ़ाती है व समय से पहले स्खलन, और शुक्राणु विकारों में लाभकारी है।
बुखार करे दूर
नारदीय लक्ष्मीविलास रस हर तरह के बुखार में लाभकारी है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस के नुकसान Side Effects
लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) को डॉक्टर की सलाह के अनुसार सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।
स्वयं चिकित्सा कर सकती है नुकसान
इस आयुर्वेदिक औषधि को स्वय से लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
लम्बे समय के लिए सेफ नहीं
इस दवा को लम्बे समय तक नहीं ले सकते। अगर लेंगे तो शरीर में धातुओं की अधीता हो जायेगी जिससे आंतरिक अंगों का काम काज नेगेटिव तरीके से प्रभावित हो जाएगा।
गर्भवती महिला और ब्रैस्टफीडिंग के दौरान अनसेफ
इसमें पारा, गंधक, धतूरा भाग, अभ्रक है जिस कारण इसे गर्भावस्था, ब्रेअस्त्फ़ेद्दिन्ग और बच्चों को देना खतरनाक हो सकता है।
मुंह का स्वाद बदलना
इसे लेने से मुख में मेटलिक टेस्ट हो सकता है।
बढ़ा सकता है दिल की धड़कन
इसकी अतिरिक्त मात्रा से दिल की धड़कन बढ़ सकती है।
साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए, मेडिकल पर्यवेक्षण के तहत इस दवा का उपयोग करें। व्यक्तिगत आवश्यकता के हिसाब से खुराक समायोजन की भी आवश्यकता हो सकती है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस के संकेत
नारदीय लक्ष्मीविलास रस में एंटीएजिंग और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि है। यह कार्डियोप्रोटेक्टीव और दिल को मजबूत करता है। इसके सेवन से हृदय की संकुचन की शक्ति और दिल की पंपिंग क्षमता को बढ़ती है। इन गुणों से इसे दिल के कार्यों में सुधार, हृदय को अन्य बीमारियों और हृदय संबंधी जटिलताओं के लिए दिया जाता है। दो प्रकार के साइनसिसिटिस होते हैं – तीव्र और पुरानी। लक्ष्मी विलास रस संक्रमण के तीव्र चरण के लिए उपयुक्त नहीं है। नारदीय लक्ष्मीविलास रस क्रोनिक साइनसिसिटिस के लिए एक उत्कृष्ट दवा है। यह मस्तिष्क और सिर के रोगों में भी अत्यंत फायदेमंद है।
- अतालता
- अर्श
- आंखों के रोग
- आंत्रवृद्धि
- आमवात
- ईडी
- कान, नाक, और गले के रोग
- कास
- कुष्ठ
- क्रोनिक जुखाम
- खांसी
- गला शोथ
- गुदा रोग
- चर्म रोग
- जिह्वा स्तम्भ
- दिल के रोग
- धातु क्षय
- नाड़ीव्रण
- नासूर
- निगलने में दिक्कत
- पीठ दर्द
- पीनस नाक में सूजन
- पुरानी दस्त (कम दिल की दर, बेचैनी, और थकावट के साथ)
- पेट रोग
- पेशाब रोग
- प्रमेह
- ब्रोमिड्रोसिस गंध
- भगन्दर
- मुख-कान, नाक और आँखों की तकलीफ
- मूत्र संबंधी विकार
- मोटापा
- यक्ष्मा
- हर्निया
- व्रण
- श्लीपद
- संधिशोथ
- सिर और मस्तिष्क के रोग
- स्थौल्य मोटापा
नारदीय लक्ष्मीविलास रस की डोज़
1 टैबलेट / 250 मिलीग्राम, दिन में 2-4 बार, भोजन से पहले लें।
अनुपान
दवा का अनुपान रोग के ऊपर निर्भर करता है।
पुराने बुखार और वात दोष की ख़राबी के कारण रोगों में अदरक का रस + शहद के साथ लें।
विषम बुखार में, पिप्पली चूर्ण + शहद के साथ लें। या इसे पान के पत्ते के रस / शहद / मक्खन/ या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के अवयव
- अभ्रक भस्म 48 g
- रस 24 g
- गंधक 24 g
- कपूर 12 g
- जावित्री 12 g
- जायफल 12 g
- विधारा 12 g
- धतुरा बीज 12 g
- भांग के बीज 12 g
- विदारी छाल 12 g
- शतावरी 12 g
- नागबला 12 g
- अतिबला 12 g
- गोखरू 12 g
- निकुला/ हिज्जल 12 g
- पान के पत्ते का रस घोटने के लिए
निर्माता और ब्रांड
- डाबर
- बैद्यनाथ
- पतंजलि (दिव्य)
- Dhootapapeshwar