मुलेठी को यष्टिमधु, लीकोरिस या नद्यपान आदि नामों से जानते हैं। इसे आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध और घरेलू उपचार में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। स्वाद में मुलेठी मीठी होती है। यह मीठापन एक सैपोनिन ग्लाइकोसाइड, ग्लाइसिरहीजिन से होता है। देखने में यह पीली सी लगती है जो इसमें ग्लाइकोसाइड इसोलिक्विरीटिन के कारण होता है।
औषधीय प्रयोजनों के लिए, मुलेठी की सूखी जड़ का प्रयोग किया जाता है। यह जड़ें बड़ी फाईब्रस होती है और कूटने पर धागे धागे की तरह से अलग होती है। लिकोरिस का मुख्य असर पाचन तंत्र और श्वसन प्रणाली पर देखने मिलता हैं। यह घाव को भरने वाली, सूजन कम करने वाली और अल्सर में लाभप्रद है।
लिकोरिस में विटामिन बी, फॉस्फोरस, कैल्शियम, कोलीन, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सेलेनियम, सिलिकॉन और ज़िंक आदि पाए जाते है। इसमें कई आवश्यक फाइटोन्यूटरिएंट्स और फ्लेवोनॉइड्स भी होते हैं।
मुलेठी की सूखी जड़ें पंसारी के यहाँ से मिल जाती हैं। सूखी जड़ों को पाउडर या काढ़े की तरह से इस्तेमाल कर सकते है। अगर आप इसे दवा की तरह से लेना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में पता होना चाहिए। इसलिए आगे जाने इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स के बारे में।
मुलेठी की डोज़ और सेवन विधि
मुलेठी को 1 से 3 ग्राम की मात्रा में ले सकते हैं। इसको गर्म पानी में 5-10 मिनट स्टेप कर चाय बना कर ले सकते हैं। इसे ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए नहीं तो इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है जिसका हृदय पर बुरा असर पड़ता है।
मुलेठी के फायदे
मुलेठी खांसी, जुखाम, गले का संक्रमण, उलटी, अम्लपित्त आदि में लाभकारी है। यह पेट के अल्सर, जलन, में आराम देती है।
श्वसन संक्रमण में लाभप्रद
अस्थमा, गले में दर्द-खराश, सर्दी, खांसी, सूजन, संक्रमण, ब्रोन्कियल नलियों की सूजन आदि दिक्कतों में मुलेठी को लेने से फायदा होता है क्योंकि यह रोगाणुरोधी, जीवाणुरोधी और एंटीवाइरल है।
श्वसन संक्रमण में लिकोरिस की चाय बनाकर, उसमें शहद डाल कर पियें। लिकोरिस की चाय बनाने के लिए, लिकोरिस पाउडर आधा चम्मच को एक कप गर्म पानी में 5 से 10 मिनट के लिए ढकें और छान लें। इसमें आप दालचीनी, तुलसी के पत्ते और काली मिर्च भी मिला सकते हैं। इसे बनाकर दिन में एक बार पियें।
बढाए इम्युनिटी
लिकोरिस से लिम्फोसाइटों और मैक्रोफेज बनते है जो इम्युनिटी में सुधार लाते हैं। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी है और शरीर को फ्री सेल डैमेज से बचाती है।
लिवर के लिए फायदेमंद
यकृत रोगों जैसे पीलिया, हेपेटाइटिस और फैटी लिवर में लिकोरिस का इस्तेमाल करते है। यह एंटीऑक्सीडेंट है और लीवर को फ्री सेल डैमेज और टोक्सिन से बचाती है। हेपेटाइटिस के से होने वाली लिवर की सूजन को कम करने में भी लिकोरिस मदद करती है। लिकोरिस की चाय बना कर एक सप्ताह तक पियें।
पाचन में सुधार करे
कब्ज, एसिडिटी, सीने में जलन, पेट के अल्सर, पेट के अस्तर की सूजनमें लिकोरिस फायदा करती है। इसे लेने से पेट के घाव, छाले, सूजन को कम करने में मदद होती है।
अधिक एसिड की समस्या में से लेने से पेट का एसिड कम होता है। पेट की सूजन और अल्सर में इसे लेने से लाभ होता है। हाइपर एसिडिटी में लिकोरिस, आंवला चूर्ण, धनिया बीज चूर्ण, गिलोय और मोथा पाउडर को मिलाकर दिया जाता है।
दांतों के लिए फायदेमंद
लिकोरिस से दातुन करने और इसके काढ़े से कुल्ला करने से कैविटी का रिस्क कम होता है। प्लाक दूर होता है और बदबू का भी इलाज़ होता है।
बायोमेडिकल एक्शन
लिकोरिस के मुख्य औषधीय गुण निम्न हैं:
- अल्जाइमर विरोधी
- एंटीअस्थमा
- एंटीडिप्रेसेंट
- एंटीबैक्टीरियल
- एंटीस्ट्रेस
- एसिडिटी कम करना
- एस्ट्रोजेनिक
- कामोद्दीपक
- कासरोधक
- कुलिंग
- कैंसर विरोधी
- गठिया नाशक
- दर्दनिवारक
- दाह नाशक
- व्रण नाशक
- स्थूलता नाशक
मुलेठी की तासीर
मुलेठी तासीर में ठंडी होती है।
मुलेठी के नुकसान
अधिक मात्रा में सेवन या दो सप्ताह से ज़्यादा सेवन खतरनाक है। अधिकतामें लेने से हाई बीपी, द्रव प्रतिधारण और चयापचय असामान्यताएं होते हैं।
- उच्च रक्तचाप
- उच्च सोडियम स्तर
- खून में कम पोटेशियम
- द्रव प्रतिधारण
- रक्त में थक्के बनने की क्षमता को कम कर करना
- सूजन
सेफ्टी
यह जड़ी बूटी गर्भवती महिलाओं या बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है। मुलेठी को गर्भावस्था में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह लेबर को शुरू कर सकता है।
कौन मुलेठी नहीं ले
- मधुमेह, गुर्दे की बीमारी या कम पोटेशियम में इसे नहीं लें।
- मुलेठी की पोटेंसी ठंडी मानी गई है। इसलिए कफ प्रवृति में सावधानी से लें।
- लिकोरिस को निम्न में नहीं लें:
- इरेक्शन प्रॉब्लम
- उच्च रक्त चाप
- किडनी में रोग
- टेस्टोस्टेरों की कम मात्रा, कम कामेच्छा, इनफर्टिलिटी
- द्रव प्रतिधारण
- पोटासियम की कमी
- ब्लड-थिनिंग दवाई का सेवन
- लीवर सिरोसिस
- लो लिबिडो
- शरीर में सोडियम की अधिक मात्रा
- हाइपरटोनिया
- हाइपोकलिमिया
- हाई बीपी
मुलेठी को हृदय रोग में क्यों नहीं ले सकते
मुलेठी का सेवन शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ा देता है। बढ़ी हुई सोडियम की मात्रा शरीर में पानी के अवधारण को बढ़ा देती है। यह पोटासियम की शरीर में मात्रा को कम कर देती है जिसे हाइपोकैलेमिया हो जाता है। यह दोनों ही फैक्टर ब्लड प्रेशर को बढ़ा देते है।
लम्बे समय तक मुलेठी का सेवनम हृदय के लिए हानिकारक है।
मुलेठी का स्त्रियों में साइड इफ़ेक्ट
मुलेठी का सेवन एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करता है। एंडोक्राइन सिस्टम, शरीर में होर्मोनेस के लिए जिम्मेदार है इसके सेवन से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है। एस्ट्रोजन का अधिक स्तर वज़न बढ़ाता है, मासिक धर्म में बदलाव लाता है। यह मूड स्विंग, डीप्रेशन, एंग्जायटी, चिड़चडापन और याददाश्त को कम करता है।
मुलेठी का पुरुषों में साइड इफ़ेक्ट
ज्यादा मात्रा में मुलेठी का सेवन शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को कम करता है।
मुलेठी को रेगुलर क्यों नहीं लें
रेगुलर लेने से फ्लूइड रिटेंशन होता है जो में निम्न पोटेशियम और उच्च सोडियम से बनता है।