आजकल की जीवनशैली, प्रदूषण और खान पान से प्रजजन अंगों और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। पुरुषों और महिलों में फर्टिलिटी में कमी देखी जा रही है। लोगों में स्ट्रेस और अवसाद हो रहा है। नसों नाड़ियों में कमजोरी हो रही है और व्यक्ति में जोश और ताकत की कमी के लक्षण आ रहे हैं। पार्किन्सन जैसे रोग भी अब अधिक देखे जा रहे हैं। इन सभी विकारों में केवांच का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। कौंच के बीज की गिरी का चूर्ण, पुरुष बांझपन का इलाज करता है, शारीरिक इच्छाओं को बढ़ाता है और शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में सुधार करता है।
पतंजलि शुद्ध कौंच बीज चूर्ण के फायदे
पतंजलि शुद्ध कौंच बीज के सेवन का मानसिक तनाव, नसों की कमजोरी, टेस्टोस्टेरोन के कम लेवल आदि में सेवन करने से बहुत लाभ होता है। यह यौन दुर्बलता को दूर करने की दवाई है। कौंच को खाने से स्तम्भन दोष जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी कहते हैं, में भी लाभ हो सकता है। यह उत्तम वाजीकारक हैं और कामेच्छा शक्ति को बढ़ाता है। वीर्य की दिक्कतें जैसे स्वपनदोष, समय से पहले स्खलन, शुक्राणु की कमी, ऑलिगोस्पर्मिया में इसका सेवन करना चाहिए।
फायदेमंद है यौन रोगों और बांझपन में
कौंच का इस्तेमाल सेक्सुअल डिसफंक्शन और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन की कमजोरी के उपचार में पुराने समय से होता आया है। इसे खाने से डिप्रेशन कम होता है, मूड अच्छा होता है, लिबिडो बढ़ता है और यौन प्रदर्शन में सुधार होता है।
बढ़ाए लिबिडो और प्रजनन क्षमता
कौंच मजबूत टॉनिक या कामोद्दीपक के रूप में कार्य करता है। इसे हजारों वर्षों से पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। प्रजनन क्षमता और स्टेरिलिटी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मुकुना प्रुरियन्स उपचार में बांझपन वाले पुरुषों में नोरड्रेनलाइन, डोपामाइन, टेस्टोस्टेरोन और ल्यूटिनिज़िंग हार्मोन (एलएच) स्तर बढ़ते हैं।
पुरुषों के गुप्त रोग में है उपयोगी
गुप्त रोग (Gupt Rog) में प्रजनन अंगों से सम्बंधित प्रॉब्लम जैसे कि शीघ्रपतन, धात, स्वप्नदोष, नामर्दी व अन्य सेक्स समस्या Sex Problem आती हैं। गुप्त रोग होने पर शारीरिक संबंध स्थापित करने की अपनी क्षमता पर पुरुष को संदेह होने लगता है।
केवांच पाउडर को पुरुषों के गुप्त रोगों में इस्तेमाल करते हैं। इससे शीघ्रपतन, पेनिस का नहीं खड़ा हो पाना, धात गिरना, रात में सपने वीर्य निकल जाना, सेक्स का मन नहीं करना आदि में फायदा होता है।
बढ़ाए धातु और वीर्य को
म्यूकूना बीज पाउडर तनाव की वज़ह कमजोर वीर्य की गुणवत्ता से लड़ने में मदद करता है। यह ऑलिगोस्पार्मिया, स्तंभन दोष, समय से पहले स्खलन, कम कामेच्छा, और नपुंसकता आदि पुरुष विकारों में प्रयोग की जानी वाली प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है। यह शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में भी उचित सुधार करने वाली नेचुरल दवा है। यह पाचन को ठीक करके, बल देकर यौन प्रदर्शन सुधारने में मदद करता है।
बढ़ाए टेस्टोस्टेरोन
अध्ययन में पाया गया कि मुकुना प्रूरीन्स एल-डोपा मेटाबोलाइट्स का एक समृद्ध स्रोत है जिसमें एपिनेफ्राइन और नोरेपीनेफ्राइन मेटाबोलाइट्स शामिल हैं। ये मेटाबोलाइट्स मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर को बढ़ाते हैं जिससे यौन व्यवहार की सक्रियता होती है, साथ ही प्लाज्मा टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होती है। एल-डोपा अग्रगण्य और हाइपोथैलेमस से गोनाडोट्रॉपिन-रिलीजिंग हार्मोन (जीएनआरएच) के स्राव को उत्तेजित करता है। उच्च जीएनआरएच स्तर ल्यूटिनिज़िंग हार्मोन (एलएच) और कूप-उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच) का उत्पादन करने के लिए पूर्ववर्ती पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करते हैं, जो बदले में टेस्टोस्टेरोन संश्लेषण को बढ़ाता है।
बल दे स्त्री प्रजनन अंगों को
क्योंकि कौंच टॉनिक है, इसलिए स्त्रियों के लिए भी यह लाभप्रद है। यह प्रजजन अंगों पर काम करने वाली दवा है इसलिए औरतों में पीरियड्स की दिक्कत, कमजोरी आदि में फायदेमंद है। कौंच से दिमाग में ख़ुशी वाले हॉर्मोन बनते हैं जिससे अच्छा महसूस होता है और चिडचिडाहट, मूड स्विंग आदि दूर होते हैं।
ताकत दे नसों और नाड़ियो को
कौंच दवा शरीर और नाड़ियों में ताकत का संचार कर यौन प्रदर्शन को ठीक करती है। इसके सेवन से सीरम टेस्टोस्टेरोन, लुटीनाइज़िंग luteinizing हार्मोन, डोपामाइन, एड्रेनालाईन, आदि में सुधार होता है।
करे लाभ पार्किन्सन रोग में
कौंच बीजों में फिक्स्ड ऑयल, एल्कालोइड और 3, 4-डायहाइड्रोक्सीफिनेलिएलाइनिन पाया जाता है। यह एल-डोपा (एल –3, 4-डाइहाइड्रॉक्सीफिनेलिएनाइन) का नेचुरल स्रोत है जिससे शरीर में डोपामिन स्तर को बढ़ा सकते हैं। एल-डोपा पार्किंसंस की बीमारी का सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है।
कम करे तनाव
कौंच दिमाग मब हाइपोथेलेमस, पिट्यूटरी और गोनाडल अक्सिक्स पर काम करता है। यह तनाव कम कर देता है।
अवसाद करे कम
कौंच में शक्तिशाली एंटी-अवसाद गुण होते हैं। इसमें मौजूद एल्कालोइड, एमिनो एसिड और कार्बोहाइड्रेट में डोपामिनर्जिक गुण होते हैं जो तीव्र और पुरानी अवसाद के लक्षणों को कम करते हैं।
एंटीऑक्सिडेंट्स से है भरपूर
मुकुना प्रूरीन्स पॉलीफेनॉल, फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक एसिड समेत फेनोलिक एंटीऑक्सिडेंट्स की पर्याप्त मात्रा पैदा करता है जो लिपिड पेरोक्साइल, पेरोक्साइड और हाइड्रोप्रोक्साइड जैसे मुक्त कणों पर बांधते हैं।
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण के संकेत | शुद्ध कौंच बीज चूर्ण को किन रोगों में लेते हैं
- कामेच्छा कमी loss of libido
- स्तम्भन दोष Erectile dysfunctions
- शीघ्रपतन Premature ejaculation
- शुक्रपात Spermatorrhoea
- अल्पशुक्राणुता oligospermia
- पार्किंसंस में Parkinson’s disease
- डिप्रेशन Depressio
मुकुना प्रुरियन्स की डोज़
मुकुना प्रुरियन्स की डोज़ आमतौर पर वांछित लक्ष्य के आधार पर भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए पार्किंसंस रोग के प्रबंधन में, , जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकेक्ट्री में प्रकाशित अध्ययन से डेटा से पता चलता है कि मुकुना का 30 ग्राम इष्टतम खुराक है। मधुमेह का इलाज करने के लिए, खुराक शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम प्रति किलो 200 मिलीग्राम है, और डिप्रेशन के लिए शरीर के वजन के प्रति किलो 100-200 मिलीग्राम की खुराक अच्छी तरह से काम करती है।
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण को कैसे लें
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण की आमतौर पर ली जाने वाली डोज़ 2-6 ग्राम पाउडर है जिसे दिन में एक से दो बार खाली पेट या भोजन के बाद इसे दूध-शहद के साथ ले सकते हैं या चिकित्सक द्वारा निर्देशित डोज़ में लें। एक दिन में 15 ग्राम तक ही लें।
गुप्त रोगों में केवांच के बीज के पाउडर को को अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली, शतावर, गोखरू के साथ लिया जाता है।
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण के संभावित साइड इफेक्ट्स
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण से सिरदर्द, अनिद्रा, मतली, उल्टी, पेट में सूजन, भ्रम और भ्रम सहित कई प्रतिकूल साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसके अलावा, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मुकुना प्रूरीन्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को भी इसे सावधानी से लेना चाहिए क्योंकि एल-डोपा से चक्कर आना, फेंकने और ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हो सकता है।
कम कर सकता है वज़न
कुछ लोगों में लम्बे समय तक कौंच का उपयोग वजन घटा सकता है।
दवाओं के साथ संभव है इंटरेक्शन
कौंच के बीज के चूर्ण, मानसिक रोगों के लिए ली जाने वाली दवाओं, अवसाद की दवाओं आदि के साथ इंटरैक्ट कर सकता है। यह ब्लड शुगर को कम कर सकता है। यह levodopa का असर बढ़ा देता है।
कौंच को ग्लूकोमा, हृदय रोग, लीवर, एंडोक्राइन, पलमनरी, किडनी रोग और मानसिक रोगों में सावधानी से लेना चाहिए।
ह्रदय पर करता है असर
यह रक्तचाप कम करता है, ब्लड वेसेल को रिलैक्स करता है।
हो सकती है लूज़ मोशन
केवांच से दस्त लग सकते हैं जिसे यदि आहार परिवर्तन और सामान्य दवा से नियंत्रित नहीं हो पाता तो इसके सेवन को छोड़ देने की आवश्यकता हो सकती है।
कर सकता है अंगों पर असर
कौंच से उलटी, भूख नहीं लगना, रक्तचाप कम होने से अनियमित धड़कन, आदि हो सकते हैं। इससे मांसपेशियों में अनैच्छिक गति हो सकती है और हाथ पैर की मूवमेंट गड़बड़ा सकती है।
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण का कम्पोजीशन
प्रत्येक 5 ग्राम में कौंच बीज का चूर्ण 5 ग्राम।
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण का प्राइस
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण 100 ग्राम का मूल्य 42 रुपये है।
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