पतंजलि टंकण भस्म Tankana Bhasma (Borax Na2B4O7 10H2O) बोरेक्स से तैयार एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है। इसे खांसी और ब्रोंकाइटिस में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग कुष्ठ रोग, त्वचा संक्रमण में भी किया जाता है। शहद के साथ टंकण भस्म को घावों पर लगाते है तो यह उपचार प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। कुष्ठ रोग में इसका प्रयोग दर्द कम कर देता है। कटु रस, लघु गुण और उष्ण वीर्य गुणों के कारण यह कुष्ठ के लक्षणों का प्रबंधन करने में फायदेमंद है। टंकण भस्म कफ और वात को शांत करता है इन दोषों के कारण से होने वाले लक्षणों की तीव्रता कम कर देता है।
पतंजलि टंकण भस्म को खांसी, कोल्ड काफ, मुंह के छाले आदि में भी इस्तेमाल करते हैं। पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं के आधार पर कैल्क्स तैयार करते है। इन उत्पादों और दवाओं में रोगी पर किसी भी पक्ष या दुष्प्रभाव नहीं पाएजाते हैं और किसी भी पुराने या जटिल बीमारी में सहायक होते हैं।
टंकण भस्म आमतौर पर उपलब्ध क्षार है। इसमेंवात शामक और व्रण रोपण के गुण है। टॉन्सिलिटिस में इसे पानी में घुला कर गारलिंग की जाती है। आयु और ताकत और किसी ,विशेषज्ञ सलाह के साथ, टंकण भस्म का उचित अनुपात में उपयोग किया जाना चाहिए।
पतंजलि टंकण भस्म के 5 ग्राम की कीमत (प्राइस) रूपये 5 है।
औषधीय गुण
- कफोत्सारक
- पित्तवर्धक
- वातशामक
- पाचन उत्तेजक
- आर्तवजनक
- आक्षेपनाशक
आयुर्वेदिक गुण
- वीर्य: ऊष्ण
- गुण: लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण
- विपाक: कटु
- रस: कटु, लवण
खुराक
टंकण भस्म के 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम को शहद और घी के साथ दिया जाता है।
पतंजलि टंकण भस्म के संकेत
पतंजलि टंकण भस्म प्रकृति में गर्म, स्वाद में तेज है। यह कफ की अधिकता और वात असंतुलन रोगों में उपयोगी है। इसका उपयोग उत्पादक खांसी, ब्रोंकाइटिस, घरघराहट, अस्थमा, छाती में कफ जमा होना, खाद्य विषाक्तता, पेट दर्द, अमेनोरेरिया,
- कोल्ड कफ
- खांसी
- गले में सूजन
- घरघराहट के साथ श्वास की समस्याएं
- घाव
- चमड़ी के रोग
- छाती में जकड़न
- टोंसिल में सूजन
- डैंड्रफ़
- बलगम वाली खांसी
- बालों में रूसी
- ब्रोंकाइटिस
- ब्रोंकाइटिस
- मासिक धर्म नहीं होना
- वातरोग
टंकण भस्म के फायदे
टंकण भस्म को कई आयुर्वेदिक में घटक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है,विशेष रूप से उन दवाओं में जिनमें वत्सनाभ होता है। टंकण, वत्सनाभ के जहरीले प्रभाव को कम करता है।
टंकण भस्म को लगाने से त्वचा और अन्य मुलायम ऊतकों पर चोट लगी होने पर फायदा होता है अहै यह मरम्मत की प्रक्रिया को तेज करता है। यह खांसी, ब्रोंकाइटिस के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है। टंकण भस्म पाचन शक्ति में सुधार करता है, सूजन से राहत देता है।
अमेनोरेरिया या ओलिगोमेनोरिया से पीड़ित महिलाओं में यह मासिक धर्म को प्रेरित करता है। यह मुंह में छाले, जीभ के फिशर और लिप्स के साइड में दरारों में उपयोगी है। टंकण भस्म को पानी में मिला कर गारलिंग करने से गले की सूजन कम होती है और खार्ष से राहत मिलती है।
कम करे कफ
टंकण भस्म तासीर में गर्म है और कफ को कम करता है। यह श्वास सम्बंधित विकारों में लाभप्रद है। यह जमा हुए बलगम को पिघला देता है और फेफड़ों से इसे बाहर निकालने में मदद करता है।
घाव भरे
टंकण भस्म में व्रण रोपण गुण है। इसे शहद के साथ मिलाया जाता है और घावों पर लगाया जाता है। यह उपचार प्रक्रिया को तेज करता है और दर्द को कम करता है।
डैंड्रफ़ करे दूर
टंकण भस्म डैंड्रफ़ में उपयोगी है। आधा चम्मच टंकण भस्म को नारियल तेल में मिलाएं और इसे खोपड़ी पर लगायें। 5-10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर धो लें।
मसूड़ों को कसे और रोके ब्लीडिंग
टंकण भस्म को नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना आकर और मसूड़ों पर लगाया जाता है।
मासिक ठीक से लाये
टंकण भस्म में मासिक के फ्लो को बढ़ाने के गुण है। पीरियड्स में ब्लीडिंग ठीक से नहीं होती तो इसे ले सकते हैं।
वार्ट्स में करे लाभ
टंकण भस्म को नींबू रस के साथ मिलाया जाता है और महीन पेस्ट बना कर है और वार्ट्स पर लगाते हैं। असा दिन में एक बार करते हैं औए 5 मिनट के बाद धो लेते हैं।
टंकण भस्म के नुकसान
- टंकण भस्म से पित्त ज्यादा होता है।
- कुछ लोगों में इसेक सेवन से जलन हो सकती है।
- टंकण भस्म को लम्बे समय तक नहीं लें।
- इसका दीर्घकालिक उपयोग ओलिगोस्पर्मिया का कारण बन सकता है।
- टंकण भस्म का अधिक उपयोग करने से बाल कमजोर हो सकते हैं।
सावधानियाँ
गैस्ट्र्रिटिस और पेप्टिक अल्सर
पित्त वर्धक होने से इसे गैस्ट्र्रिटिस और पेप्टिक अल्सर रोगियों द्वारा प्रयोग नही किया जाना चाहिए।
गर्भावस्था
टंकण भस्म को प्रेगनेंसी में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह मासिक धर्म को प्रेरित करता है। यह मासिक धर्म प्रवाह में सुधार करने में मदद करता है।
स्तनपान
स्तनपान के दौरान इसके उपयोग के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।