सप्तामृत लौह के फायदे और नुकसान

सप्तामृत लौह आयुर्वेद की लोहे युक्त दवा है जो शरीर में खून की कमी को दूर करती है तथा यह आंख और बालों के रोगों में फायदा देती है। आँखों के दोष जैसे धुंधली दृष्टि, धब्बे दिखना, अंधेरे में देखने में कठिनाई, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि, मोतियाबिंद, नेत्रश्लेष्मलाशोथ और दृष्टि हानि आदि इस दवा को लेने के मुख्य संकेत हैं।

सप्तामृत लौह लेने से मन्दाग्नि की समस्या में भी लाभ होता है। शरीर में खून की कमी को दूर करने के गुण के कारण यह बालों को समय से पहले सफेद होना, गिरना, आदि में लाभ दिखाती है। इसे लेने से शरीर में सूजन, थकावट, आंत में गैस, और एडिमा दूर होता है। सप्तामृत लौह हीमोग्लोबिन स्तर बढ़ाता है, पेट में एसिड उत्पादन को संतुलित करता है और मूत्र प्रवाह में सुधार करता है।

सप्तामृत लौह के चिकित्सीय उपयोग

  • अनाह
  • अम्लपित्त
  • आँखों की सभी तरह की तकलीफें
  • आयु संबंधी दृष्टि हानि
  • एसिड पेप्टिक विकार
  • ऑप्टिक तंत्रिका सूजन
  • कलमा
  • छर्दि
  • ज्वर
  • तिमिर
  • परिणाम शूल – भोजन के पाचन के दौरान पेट में दर्द
  • बालों का समय से पहले सफेद होना
  • मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी
  • मानसिक और शारीरिक सहनशक्ति में सुधार लाना
  • मूत्राघात
  • मोतियाबिंद
  • रक्त विकार
  • रतौंधी
  • शूल
  • शोथ

सप्तामृत लौह के फायदे,गुण और उपयोग

  • यह एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है।
  • यह कामोद्दीपक है।
  • यह खुजली को कम करता है।
  • यह गैस से राहत देता है।
  • यह त्वचा के लिए लाभकारी है।
  • यह दृष्टि में सुधार करता है।
  • यह पेट के एसिड को संतुलित करता है।
  • यह प्राकृतिक बालों का रंग पुनर्स्थापित करता है।
  • यह बालों के विकास को बढ़ावा देता है।
  • यह मतली और उल्टी से राहत देता है।
  • यह रक्त को Detoxify करता है ।
  • सप्तामृत लौह आँखों के विकारों में लाभप्रद है। यह आँखों की कमजोरी, लाली, मोतियाबिंद, रात में दिखाई नहीं देना आदि में फायदा करती है।
  • सप्तामृत लौह लेने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
  • सप्तामृत लौह से अग्नि (जठराग्नि) प्रदीप्त होती है और मन्दाग्नि की समस्या दूर होती है।
  • सप्तामृत लौह से बालों से सम्बंधित समस्याओं में फायदा होता है।

सप्तामृत लौह के घटक द्रव्य

  • त्रिफला (आंवला, हर्रे या हरीतकी, बहेड़ा) 1 भाग
  • मुलैठी 1 भाग
  • लौह भस्म 1 भाग

सप्तामृत लौह बनाने की विधि

त्रिफला और मुलैठी- इनका कपड़छन किया हुआ चूर्ण तथा लौह भस्म सबको भाग लेकर एकत्र मिला, खरल कर सुरक्षित रख लें।

सप्तामृत लौह की सेवन विधि, मात्रा और अनुपान

1 या 2 गोलियां (375 mg-750 mg)सुबह-शाम 1 माशा घी और 3 माशे शहद में मिला कर चाटें। घी और शहद के साथ लेने पर अच्छे परिणाम व मिल सकते हैं।

सप्तामृत लौह के नुकसान

  • इसमें लोहा है इसलिए इसे केवल बताई गई मात्रा में लेना चाहिए।
  • सटीक खुराक में और ज़रूरत होने पर ही दवा लें।
  • सप्तामृत लौह लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

निर्माता और ब्रांड

  • बैद्यनाथ
  • डाबर
  • Dhootapapeshwar
  • पतंजलि (दिव्य)
  • श्री श्री आयुर्वेद आदि।

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