शंख भस्म Shankh Bhasma को पुरानी अपचन समस्याओं, डिस्प्सीसिया, एसिडिटी, गैस्ट्रोसोफेजिअल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), अल्सर, डाइसेंट्री और पीलिया आदि के उपचार में उपयोग किया जाता है।
दूषित भोजन और पेय लगातार पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और कमजोर करते हैं। शंख भस्म, आपके पाचन को बढ़ावा देती है। यह चिकित्सीय रूप से साबित हुआ है कि इसका दुष्प्रभाव नहीं है। यदि नियमित रूप से लिया जाता है तो शंख भस्म आपको पाचन रोगों को दूर करने से स्थायी राहत प्रदान करती है।
शंख भस्म को शंख-खोल (गैस्ट्रोपाडा, कक्षा: मोलुस्का), जो एक समुद्री जीव का शेल है , से बनाया जाता है । रासायनिक संरचना में यह CaCO3 है । दो प्रकार के शंख उपलब्ध हैं। एक वामवर्ती है, यानी, बाएं तरफ और दक्षिणावर्ती जो दाईं ओर खुलता है। बाएं तरफ के शंख को शंख भस्म के लिए प्रयोग किया जाता है।
शंख भस्म के फायदे
शंख भस्म एक पारंपरिक दवा है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, खांसी आदि के लिए उपयोग की जाती है। शंख कैल्शियम यौगिक है और शंख भस्म मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) है। इसमें एसिडिटी और जलन को कम करने के गुण है। यह वात और पित्त को संतुलित करता है। यह पाचन तंत्र के लिए उपयोगी आयुर्वेदिक उपचार है तथा गैस्ट्र्रिटिस, पेट दर्द, मैलाबॉस्पशन सिंड्रोम इत्यादि जैसी शिकायतें में लाभप्रद है।
शंख भस्म दे एसिडिटी से आराम
शंख भस्म शीतलक है। इसे लेने से गैस्ट्र्रिटिस, अम्लता, डिस्प्सीसिया, उल्टी, मतली, आदि में आराम मिलता है। इसमें एंटासिड का गुण है।
शंख भस्म गैस्ट्रिक अल्सर पर करे असर
शंख भस्म में एंटी-पेप्टिक अल्सर प्रभाव है। इसे लेने पर अल्सर इंडेक्स () में महत्वपूर्ण कमी आती है। यह गैस्ट्रिक अल्सर के खिलाफ सुरक्षा देने वाली दवाई है।
शंख भस्म दे आराम गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स बीमारी (जीईआरडी) से
गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स बीमारी (जीईआरडी) तब होती है जब पेट का एसिड अक्सर आपके मुंह और पेट (एसोफैगस) को जोड़ने वाली ट्यूब में आ जाता है। यह बैकवाश (एसिड रिफ्लक्स) आपके एसोफैगस की अस्तर को परेशान कर सकता है।
जब आप निगलते हैं, तो आपके एसोफैगस (निचले एसोफेजल स्फिंकर) के नीचे मांसपेशियों का गोलाकार बैंड आपके पेट में भोजन और तरल बहने की अनुमति देता है। फिर स्फिंकर फिर से बंद हो जाता है।
यदि स्फिंकर असामान्य रूप से कमजोर हो जाता है या कमजोर होता है, तो पेट एसिड आपके एसोफैगस में वापस आ सकता है। एसिड का यह निरंतर बैकवाश आपके एसोफैगस की परत को परेशान करता है, अक्सर इसे सूजन हो जाता है।
शंख भस्म के सेवन से पेट में एसिडिटी और जलन कम होती है जिससे गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स बीमारी के लक्षणों से राहत मिलती है।
शंख भस्म दे अच्छी बोन हेल्थ
कैल्शियम बढ़ते बच्चों, किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं के लिए बहुत ज़रुरी है। शंख भस्म स्वस्थ हड्डियों, दांतों और कोशिका झिल्ली के विकास और रखरखाव के लिए प्राकृतिक कैल्शियम और विटामिन सी प्रदान करता है।
शंख भस्म करे वात और पित्त दोष को कम
शंख भस्म लेने से पेट में वायु, अफारा, दर्द, आदि में लाभ होता है। यह पित्त को कम करती है जिससे एसिडिटी में राहत होती है और पेट में दर्द और जलन कम होता है।
शंख भस्म दे आराम खट्टी डकार में
पेट में ज्यादा गैस होने से, एसिडिटी से जब खराब स्वाद वाकी खट्टी द्काराती है तो शंख भस्म को हिंग्वाष्टक चूर्ण के साथ लेना चाहिए।
शंख भस्म फायदेमंद है लीवर और स्प्लीन के बढ़ जाने पर
यदि लीवर-स्पेन बढ़ जाए और कब्ज़ नहीं हो तो शंख भस्म को समान भाग मंडूर भस्म मिलाकर कुमारी आसव के साथ देना चाहिए।
शंख भस्म करे पाचन सही
अपच, अजीर्ण, मन्दाग्नि, गैस आदि में शंख भस्म को नींबू के रस और मिश्री या भुनी हींग के साथ लेने से आराम मिलता है।
शंख भस्म दूर करे शूल
पेट में हो रहे दर्द में शंख भस्म को काले नमक, भुनी हींग और त्रिकटु चूर्ण के साथ लेना चाहिए।
शंख भस्म की खुराक
शंख भस्म को 250 मिलीग्राम से 750 मिलीग्राम की मात्रा में भोजन से पहले या उसके बाद में दिन में एक या दो बार या आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप से लिया जाता है। इसे परंपरागत रूप से शहद, नींबू का रस, त्रिफला काढ़े आदि के साथ लिया जाता है।
शंख भस्म के संकेत
- अग्निमांद्य
- अति अम्लता
- अपच
- अम्लपित्त
- उदर विस्तार
- दस्त
- पेचिश
- पेट का अफारा
- प्लीहा वृद्धि
- भूख में कमी
- मुँहासे
- यकृत वृद्धि
- वायु या पेट का फूलना
- शीघ्रकोपी आंत्र सिंड्रोम
- सूजन
- हिचकी
साइड इफेक्ट्स दुष्प्रभाव
- जीभ पर सीधे रख लेने पर जीभ पर घाव
- कब्ज़
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भावस्था और स्तनपान मे इसका प्रयोग नहीं करें। डॉक्टर की सलाह लें।
कब नहीं लें Contraindications
कब्ज़