सितोपलादि चूर्ण सर्दी- खांसी, जुखाम, कफ, साइनोसाइटिस, ब्रोंकाइटिस की दवा

सितोपलादि चूर्ण खांसी में उपयोगी है, भूख बढाकर शरीर को ताकत देता है, यह एलर्जी और वायरल श्वसन संक्रमण में सहायक, सुख और कफ वाली खांसी दोनों में सुखद प्रभाव वाली आयुर्वेदिक दवाई है।

सितोपलादि चूर्ण आयुर्वेदिक मेडिसिनल पाउडर है जिसमें हरी इलायची, दालचीनी, वंशलोचन, पिप्पली और सितोपला (मिश्री) जैसे प्रभावी आयुर्वेदिक द्रव्य है। यह सर्दी- खांसी, जुखाम, कफ, साइनोसाइटिस, ब्रोंकाइटिस, गले में खराश, बुखार, अस्थमा, पाचन समस्या, बार बार आने वाले बुखार, आदि में लाभदायक है। यह ऊपरी श्वसन के जाम होना, और ब्रोन्कियल स्थितियों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें एंटीहिस्टामिनिक प्रभाव है।

मिश्री के होने से यह दवा रुचिकर है तथा भोजन के प्रति अरुचि को दूर करती है।  सितोपलादि चूर्ण में मिश्री को 16 पार्ट में मिलाया जाता है और इसलिए यह डायबिटीज में नहीं ली जानी चाहिए।

सितोपलादि चूर्ण बायोमेडिकल एक्शन

  • कासरोधक
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी
  • एंटी-वायरल
  • एंटी-बैक्टीरियल
  • एंटी-अलसरोजेनिक
  • ज्वरनाशक
  • कारमिनटिव
  • एक्स्पेक्टोरेंट

सितोपलादि चूर्ण के फायदे Sitopaladi Churna Benefits

सितोपलादि चूर्ण सर्दी, खाँसी, कफ, सांस के रोगों, कम प्रतिरोध क्षमता भी लिया जा सकता है। यह खांसी-जुखाम, श्वास संबंधी रोगों, अपच, में लाभदायक है। यह शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जो श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित रोग में फायदेमंद है। यह शरीर में कफ दोष को ठीक करती है। सर्दियों में अकसर होने वाली खांसी सूखी, कफ वाली या दमे से बचने के लिए सितोपलादि चूर्ण ले सकते हैं।

कम करे कफ

सितोपलादि चूर्ण को खाने से कफ होता है। यह कफोत्सारक(कफ निकालनेवाली औषधि) में से एक है।

अस्थमा में फायदेमंद

सितोपलादि चूर्ण लेने से सांस नली की सूजन कम होती है तथा कफ भी कम होता है। इस पप्रभाव से सांस लेना आसान होता है।

साइनस की सूजन में लाभप्रद

साइनस में सूजन एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरस के कारण से हो सकता है। आम लक्षणों में नाक में थिक श्लेष्म, और चेहरे में दर्द शामिल है। अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, गंध की खराब भावना, गले में खराश, और खांसी शामिल हो सकती है। सितोपलादि चूर्ण में साइनस और संक्रामक साइनसिसिटिस के इलाज़ के लिए भी सहायक है।

बढाये रोग निरोधक क्षमता

सितोपलादि चूर्ण इम्मयूनोमोडुलेटरी है और यह प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधार लाने वाली दवा है।यह श्वसन पथ के संक्रमण के इलाज में उपयोगी है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage

सितोपलादि चूर्ण को वयस्क 3-5 ग्राम के बीच में दिन में तीन बार लें सकते हैं। इसे शहद में मिलाकर लिया जा सकता है। इसे खाली पेट नहीं लें।

दुष्प्रभाव Side Effects

  • इसे लेने से शुगर बढ़ सकती है।
  • यह दवा लगातार कई महीने तक नहीं लेनी चाहिए।
  • यह कुछ मरीजों में गैस्ट्र्रिटिस खराब कर सकता है, खासकर यदि भोजन से पहले दिया जाता है।
  • एक वर्ष के लिए निरंतर उपयोग करने की अनुशंसा नहीं की जाती है।
  • कम से कम, डॉक्टर की सलाह के आधार पर, प्रत्येक 2-3 महीने के उपयोग के बाद एक महीने का अंतर देना होगा।
  • इसकी गर्म शक्ति के कारण, इसे प्रेगनेंसी के दौरान नहीं लेना चाहिए।

सितोपलादि चूर्ण के घटक Ingredients

सितोपलादि चूर्ण के प्रमुख घटकों को भिन्न भिन्न मात्राओं में मिलाकर इस औषधि को बनाया जाता है।

  • मिश्री  16 भाग
  • वंशलोचन  8 भाग
  • पिप्पली  4 भाग
  • छोटी इलायची बीज  2 भाग
  • दालचीनी  1 भाग

शेल्फ लाइफ

यदि पाउडर युक्त जार खोला नहीं जाता है, तो शेल्फ जीवन 2 साल होता है।

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