योगेन्द्र रस (स्वर्ण युक्त) के फायदे, नुकसान व उपयोग

योगेन्द्र रस एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें हर्बल और खनिज तत्व होते हैं। इस दवा को रस सिंदूर, स्वर्ण भस्म, काँटा लौहा भस्म, मोती भस्म, वंग भस्म आदि सामग्री से बनाया जाता है तथा यह न्यूरो-मांसपेशियों की स्थिति, वातव्याधि और मधुमेह के इलाज में उपयोगी है। इसका उपयोग अन्य दवाओं के साथ मधुमेह, मूत्र पथ से संबंधित रोगों, बार-बार पेशाब करने की समस्या, फिस्टुला, बवासीर, मिर्गी, मानसिक स्थिति, पक्षाघात, पेट के शूल, गैस्ट्र्रिटिस, नेत्र रोगों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की कमजोरी में होता है। जब इसे किसी अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है तो यह दवा एक उत्प्रेरक (योगावाही) के रूप में काम करती है।

रस औषधि होने से, योगेन्द्र रस को चिकित्सा देखरेख में उपयोग करें।

योगेन्द्र रस के उपयोग

भैषज्य रत्नावली में योगेन्द्र रस का वर्णन, वातव्याधि चिकित्सा (लकवा, मुँह का लकवा, गृध्रसी/सायटिका, जोड़ों का दर्द, गठिया, हाथ पैरों में जकड़न, कम्पन, दर्द, गर्दन का दर्द, कमर का दर्द, हिस्टीरिया, मानसिक विकार, आदि) ) में किया गया है।

योगेन्द्र रस मुख्य रूप से लकवे, मिर्गी, पेशाब के रोग, गुदा के रोग तथा वात पित्त रोग की दवा है। यह अंगों की कमजोरी और शिथिलता में भी फायदेमंद है।

इसे निम्न रोगों में ले सकते हैं:

  • इन्द्रियों की कमजोरी
  • उच्च रक्तचाप
  • गृध्रसी
  • टीबी
  • पक्षाघात या पैरालिसिस
  • प्रमेह रोग
  • बेहोशी
  • वात-पित्त के कारण होने वाले उन्माद
  • वातवाहिनी और रक्तवाहिनी नाड़ियों की कमजोरी
  • वीर्य विकार
  • हिस्टीरिया

योगेन्द्र रस के निर्माता:

  • धूतपापेश्वर
  • बैद्यनाथ
  • डाबर
  • पतंजलि दिव्य फार्मेसी

योगेन्द्र रस की डोज़

योगेन्द्र रस को 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा में, भोजन के बाद या आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्देशित के रूप में लिया जा सकता है। इसे त्रिफला के काढ़े, दूध अथवा पानी के साथ लिया जा सकता है ।

  • पित्त विकार में, त्रिफला जल + मिश्री के साथ लें।
  • हिस्टीरिया में, जटामांसी के काढ़े के साथ लें।
  • हृदय रोग में, अर्जुन छाल के साथ लें।
  • वात रोग में, एरंड मूल रस + शहद के साथ लें।
  • बल बढ़ाने के लिए, दूध, मक्खन या मलाई के साथ लें।
  • दवा को आप एक डेढ़ महीने ले सकते हैं। डॉक्टर की सलाह से इसे कुछ सप्ताह और लिया जा सकता है।

योगेन्द्र रस का फार्मूला

  • रस सिंदूर 1 भाग
  • स्वर्ण भस्म 1/2 भाग
  • कंटलोहा भस्म 1/2 भाग
  • अभृ (अभ्रक) भस्म 1/2 भाग
  • मुक्तिका (मुक्त) भस्म 1/2 भाग
  • वंग भस्म 1/2 भाग
  • कुमारी रस (मर्दन के लिए)

रस सिन्दूर को शुद्ध और संसाधित परद व् शुद्ध और संसाधित सल्फर से मिला कर बनाया जाता है। फोर्मुले के द्रव्यों के महीन पाउडर को एलोवेरा जूस के साथ अच्छी तरह से घुटाई करके योगेन्द्र रस की गोलियां तैयार की जाती हैं।

संदर्भ:

भैषज्य रत्नावली, वातव्याधि चिकित्सा

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